मुस्कुराना चाहिए | Muskurana chahiye | Life poetry
मुस्कुराना चाहिए
( Muskurana chahiye )
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सदैव मुस्कुराना चाहिए,
भूल से भी क्रोध नहीं जताना चाहिए।
धर्म, विज्ञान सबने इसे खारिज किया है,
धैर्य और मुस्कुराने को ही प्राथमिकता दिया है।
मुस्कुराने से सौंदर्य निखरता है,
चेहरे पर तनाव आने से भी डरता है।
स्वास्थ्यवर्धक भी है मुस्कुराना,
सो साथियों सदैव मुस्कुराना ।
हर परिस्थिति में,
दुःख,सुख,तकलीफ में।
कोई ग़म हो,
या आंखें नम हो?
हमें मुस्कुराना चाहिए !
आसान नहीं है-
जानता हूं,
यह एक कला है-
मानता हूं।
यह कला सबको आनी चाहिए,
बस थोड़ा सा धैर्य और संतोष चाहिए।
तनाव हो जाता है छू-मंतर,
यदि इंसा मुस्कुराए निरंतर।
दूसरों पर भी पड़ता है साकारात्मक प्रभाव,
मिट जाता क्लेश-द्वेष, बढ़ जाता है सद्भाव।
गुस्सा हराम है,
इससे नुकसान ही नुकसान है।
मस्तिष्काघात होने का भी डर है,
यह कई और बीमारियों का घर है।
पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी ने शोध कर बताया है,
कई गंभीर आशंकाओं को भी जताया है।
क्रोध तज कर मुस्कुराने में ही भलाई है,
आखिर किस बात की लड़ाई है ?
हम सब यहां भाई भाई हैं।
परेशानियां आएंगी जाएंगी !
मुस्कुराहटों के आगे कितने दिन टिक पाएंगी?
मुस्कुराकर हर समस्या का हल ढ़ूंढ़ लेंगे,
दिल हार कर दिल जीत लेंगे।
यही है बाजीगरी,
यही है बहादुरी ।
मुस्कुराकर दुनिया को दिखाएंगे जादूगरी,
मुस्कुराना ही है जादू की छड़ी ।
यह बात सबको बताना चाहिए,
हमें सदैव मुस्कुराना और मुस्कुराना चाहिए।
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लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार