नज़र नहीं आता | Nazar Nahi Aata
नज़र नहीं आता
( Nazar nahi aata )
वो मुझे कहीं भी अब तो नज़र नहीं आता ?
यूं सकून दिल को मेरे मगर नहीं आता
वो सनम न जानें मेरा किस हाल में होगा
कोई भी उसी की लेकर ख़बर नहीं आता
ए ख़ुदा बता क्या ग़लती हुई मुझी से है
क्यों मगर दुआओं में ही असर नहीं आता
रोज़ अब तरसती है आँखें देखने को ही
वो सनम न जानें अब क्यों इधर नहीं आता
व्रत किस तरह से मेरा खुले मुहब्बत का
आजकल वहीं छत पे क्यों क़मर नहीं आता
हो गया ख़फ़ा वो मुझसे सनम न जानें क्यों
प्यार का करने वादा ए दिगर नहीं आता
कुछ कहा नहीं उससे तो बुरा कभी आज़म
अब मगर न जानें क्यों वो ही घर नहीं आता