Search Results for: व्यंग्य

hindi saptah ka shri ganesh

राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से हिंदी सप्ताह का श्रीगणेश

राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से हिंदी सप्ताह का श्रीगणेश माता भारती के भाल पर स्वर्णिम सजी बिंदी। वो है समृद्धशाली राष्ट्र का गौरव मेरी हिंदी।। छिन्दवाड़ा :- साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन की इकाई पाठक मंच (बुक क्लब) छिंदवाड़ा द्वारा राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर हिंदी सप्ताह का आगाज करते हुए…

Hindi Poetry of Gurudeen Verma | गुरुदीन वर्मा की कविताएं

Hindi Poetry of Gurudeen Verma | गुरुदीन वर्मा की कविताएं

मेघों की तुम मेघा रानी शेर)- जैसे जल को तरसे मछली, वैसे मेघ को तरसे धरती। मेघ बिना नहीं मिलता पानी, मेघ बिना यह बंजर धरती।। ——————————————————- मेघों की तुम मेघा रानी, मेघ तुम बरसाओ। करके वर्षा मेघों की, धरती की प्यास मिटाओ।। मेघों की तुम मेघा रानी———————–।। किसको जरूरत नहीं जल की, यह जल…

एक लड़की, रजनीगंधा सी

एक लड़की, रजनीगंधा सी

एक लड़की,रजनीगंधा सी मस्त मलंग हाव भाव, तन मन अति सुडौल । अल्हड़ता व्यवहार अंतर, मधुर मृदुल प्रियल बोल। अधुना शैली परिधान संग, चारुता चंचल चंदा सी । एक लड़की, रजनीगंधा सी ।। अंग प्रत्यंग चहक महक , नव यौवन उत्तम उभार । आचार विचार मर्यादामय , अंतःकरण शोभित संस्कार । ज्ञान ध्यान निज सामर्थ्य…

Kavita nasha kursi ka

कुर्सी | Kavita Kursi

कुर्सी ( Kursi ) पद एवं कुर्सी का मुद्दा देशभक्ति, रोज़ी -रोटी से भारी हो गया ऐसा फ़रमान दिल्ली से जारी हो गया मर चुकी जन सेवा देश सेवा की भावना कुर्सी एवं पद के लिए ओछे हथकंडे घटिया दांव -पेंच कल का जनसेवक कलियुग का जुआरी हो गया वास्तविकता पर जब भी चलाई है…

डॉ. आलोक रंजन कुमार

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आलोक रंजन कुमार से साक्षात्कार

आधुनिक हिंदी साहित्य के धरातल पर झारखंड की भूमि पर डॉ. आलोक रंजन कुमार का स्थान अप्रतिम है। आपने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्यस्तरीय अनेक सेमिनार तथा वेबिनारों में सहभागिता अपनाई है और हिंदी की सेवा की है। साथ ही आपने अपने शोध प्रबंध — ‘पलामू कमिश्नरी की बोलियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन’ तथा लघु…

नशा

नशा | Kavita Nasha

नशा ( Nasha ) नशा एक जलती चिता, नशे का नशा, जिस किसी को लगा, कवेलू तलक, उसके घर का बिका! नशा —— एक जलती चिता, नन्हें बच्चों का भविष्य, दांव पर लगा! घर स्वर्ग से नरक का रूप, धारण करने लगा! अन्न मिलता नहीं, तड़पते हैं बच्चे भूख से, विधवा उसकी पत्नी, लगती है…

मरघट की ओर

मरघट की ओर | Marghat ki Or

मरघट की ओर ( व्यंग्य रचना ) बज उठा, चुनावी बिगुल! निकल पड़े हैं मदारी, खेल दिखाने! बहलाने, फुसलाने, रिझाने, बहकाने! उज्जवल —— अपना भाग्य बनाने! जनता का दु:ख -दर्द, जानकर भी, बनते हैं जो अनजाने! आओ दु:खियारों, चलो -चलें, मरघट की ओर, इन मक्कारों की, मिलकर चिता जलाने! जमील अंसारी हिन्दी, मराठी, उर्दू कवि…

हज़ल | Hazl

हज़ल | Hazl

इलेक्शन पास जबसे इलेक्शन है आने लगे तबसे नेताजी सर्कस दिखाने लगे ये है बापू का गुलशन यहां पर मगर डाकु, गुंडे हुकुमत चलाने लगे जबसे महंगी हुई है विदेशी शराब देसी दारू वो पीने पिलाने लगे मारना मच्छरों का जिन्हें पाप है रोज़ मुर्गा,मटन वो भी खाने लगे नौकरी रिटायर हम जो हुए घर…

Jameel Ansari Hindi Poetry

जमील अंसारी की कविताएं | Jameel Ansari Hindi Poetry

बेटियां चंपा,गुलाब,मोगरा,चंदन है बेटियां। रिश्तों को जोड़ देने का बंधन है बेटियां। लाल,ओ,गोहर,अक़ीक़ है कंचन है बेटियां। बाबुल का हंसता, खेलता आंगन है बेटियां। पी,टी उषा हो सानिया या चावला,किरण। दुनिया के कैनवास पे रौशन है बेटियां। इज़्ज़त है आब्रु है ये ज़ीनत घरों की है। किरदार और खुलूस का दर्पण है बेटियां। आयत है…

झेल का खेल | Kavita Jhel ka Khel

झेल का खेल | Kavita Jhel ka Khel

झेल का खेल ( Jhel ka Khel )   मैं झेल रहा हूं तुम भी झेलो! झेल का खेल, उन्नति की सीढ़ी है! कितने उच्च विचारों की देखो आज की पीढ़ी है! झेलने में ही खेलने का मज़ा है! झेलना भी खेलने की प्यारी से प्यारी अदा है! झेलने से मान सम्मान बढ़ता है जो…