उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती

उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती | Ghazal

उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती ( Uski na jane kyon dil se yad nahi jati )   उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती ग़म की जिंदगी से ही बरसात नहीं जाती   दिल से भुला दें उसको रब जो न बना मेरा यादों भरी अब तो काटी रात…

शैतान चूहे

शैतान चूहे | Bal Sahitya

शैतान चूहे ( Shaitan choohe  )   चूहें होते हैं बड़े ही शैतान चीं-चीं चूँ-चूँ कर शोर मचाते इधर-उधर उछल-कूद कर हरदम करते सबको परेशान । छोटे-छोटे हाथ पैरों वाले नुकीले धारदार दाँतों वाले बहुत कम बालों वाली इनकी मूँछ सपोले जैसी छरहरी होती पूँछ । वैसे तो गहरे बिलों में होता इनका घर पर…

कवि सत्य बोलेगा

कवि सत्य बोलेगा | Kavita

कवि सत्य बोलेगा ( Kavi satya bolega )   देश की शान पर लिखता देश की आन पर लिखता देशभक्ति  दीप  जला  राष्ट्र  उत्थान पर लिखता आंधी  हो  चाहे तूफान लेखक कभी ना डोलेगा सिंहासन जब जब डगमगाए कवि सत्य बोलेगा   झलकता प्यार शब्दों में बहती काव्य अविरल धारा लेखनी  रोशन करे कमाल जग…

rabb sa tu kavita

रब्ब सा तू | Poem Rabb Sa tu

रब्ब सा तू ( Rabb sa tu )   तू भ़ी है पोशीदा और वोह भी नज़र ना आये हर सांस में है तेरा नाम रग रग में वो भी समाये इक तेरा ख्याल ही दे जाये तहरीक(जुंबिश) एहसास उसस्‍का भी बढ़ा दे दिल की धड़कन खुदा हो जहाँ काबा होता वहां तू भी है…

Tum agar saath do

तुम अगर साथ दो | Geet

तुम अगर साथ दो ( Tum agar saath do )   तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं, लेखनी  ले  मां  शारदे मनाता रहूं।   महके जब मन हमारा तो हर शब्द खिले, लबों से झरते प्यारे मीठे मीठे बोल मिले। जब चले साथ में हम हंस कर चले, सुहाने सफर में हम हमसफर…

कशिश

कशिश | Kavita

कशिश ( Kashish )   एक कशिश सी होती है तेरे सामने जब मैं आता हूं दिलवालों की मधुर बातें लबों से कह नहीं पाता हूं   मन में कशिश रहने लगी ज्यों कुदरत मुझे बुलाती है वर्तमान में हाल बैठकर दिल के मुझे सुनाती है   प्रकृति प्रेमी बनकर मैं हंसकर पेड़ लगाता हूं…

आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है

आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है | Ghazal

आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है ( Aaj yahan ulfat ki tuti dali hai )   आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है ! नफ़रत की दिल पे आज लगी ताली है   दी रोठी सब्जी आज किसी भी न मुझे यार रही अपनी तो  खाली थाली है   जीवन में इतने जुल्म अपनों…

पर्यावरण

पर्यावरण || Kavita

पर्यावरण ( Paryaavaran )   नीम की डाली ने चिड़िया से कहा आ जाओ। रोकर चिड़िया ने कहा मेरा पर्यावरण लाओ।। धुआ ये धूल और विष भरी गैसों का ब्योम, कैसे पवित्र होगा हमको भी तो समझाओ।। काट कर पेड़ हरे अभिमान से रहने वालों, छांव के लिए सिर धुनकर नहीं अब पछताओ।। कारखानों का…

पर्यावरण

पर्यावरण | Paryaavaran par kavita

पर्यावरण ( Paryaavaran ) वृक्ष धरा का मूल भूल से इनको काटो ना , नदी तालाब और पूल भूल से इनको  पाटो ना! वृक्षों  से हमें फल मिलता है  एक सुनहरा कल मिलता है पेड़ रूख बन बाग तड़ाग , सब धरती के फूल …     भूल से इनको  काटो ना   ..  इनकी करो…

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं | Kavita

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं ( Apni  khushiyon ko pankh lagaate hain )   चलो अपनी खुशियों को जरा पंख लगाते हैं।?️ फिर से दोस्तों की गलियों में छुप जाते हैं।? फिर वही अल्हड़ पन? अपनाते हैं। कुछ पल के लिए अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराते हैं।? फिर वही बचपना अपनी आंखों में लाते…