बात बनता है कभी गुमान में क्या
बात बनता है कभी गुमान में क्या बात बनता है कभी गुमान में क्या कभी इन्तिज़ार होती है ज़िन्दान में क्या गैरों के बात खुद केह देते हो ऐसा होता है भला सुख़न में क्या जाते जाते इतनी मेहेरबानी क्यों टुटा दिल ही दोगी दान में क्या कुछ नहीं में और…