नशा

नशा | Nasha kavita

“नशा”  ( Nasha ) –>हर काम का अपना “नशा”है | 1.हर पल नशे में है दुनियां, कोई तो मिले जो होश मे हो | नशे में डूबे हैं सून्य दिल, कोई तो मिले जो जोश में हो | कोई दौलत के नशे में चूर, डूबा फिरता है राहों मे | कोई इश्क के नशे मे…

दीबार

दीबार | Deewar kavita

 “दीबार”  ( Deewar )   –>मत बनने दो रिस्तों में “दीबार” || 1.अगर खडी हो घर-आंगन, एक ओट समझ मे आती है | छोटी और बड़ी मिलकर एक, सुंदर आवास बानाती है | मत खडी होने दो रिस्तों मे, टकरार पैदा कारती है | हंसते गाते हमारे अपनों मे, दरार पैदा करती है | –>मत…

कनक

कनक | Kanak Hindi kavita

“कनक” ( Kanak  )   ✨ –>कनक कनक पर कौन सा….. ✨ 1.एक कनक मे मादकता, एक मे होए अमीरी | एक कनक मे मद चढे, एक मे जाए गरीबी | नाम कनक के एक हैं, अर्थ द्वि-भाषी होता | एक कनक धतूरा होता, दूजा सोना होता | ✨ –>कनक कनक पर कौन सा….. ✨…

फूल

फूल | Phool kavita

 फूल ( Phool kavita )   –> ये फूलों का संसार, ये फूलों का संसार || 1.फूलों का संसार बेहद रंगीन, सुंदर सुगंधित रहता है | फूलों के साथ जीना सीखो, हर फूल कुछ तो कहता है | लाल-गुलाबी-सफेद-जामुनी, कुछ सतरंगी होते हैं | कुछ तो होते बड़े सुनहरे, कुछ छोटे-छोटे होते हैं | –>…

चन्दन

चन्दन | Chandan kavita

 “चन्दन” ( Chandan : Kavita ) –>”चन्दन तुम बन जाओ”……|| 1.कहने को लकडी है, ठंडक समेटे है | भीनी सी खुशबू है, विष-धर लपेटे है | घिंस के जब पत्थर पर, माथे में लगता है | ऊंगली महकाती है, चन्दन वो लकडी है | –>”चन्दन तुम बन जाओ”……|| 2.चन्दन की राहों में, उलझन हजारों हैं…

आईना

आईना | Aaina kavita

“आईना” ( Aaina : kavita ) –> सच्चाई का प्रतीक है “आईना” || 1.सब कहते हैं सच्चा-झूँठा, किस पर यकीन करें | देख कर चेहरा बातें करते, किस पर यकीन करें | किसके दिल मे क्या रहता, कुछ पता नहीं चलता है | एक आईना झूँठा न बोले, जो सच है सो कहता है |…

हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है

हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है | Urdu ghazal by Nepali poet

 हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है  ( Hum par koi naqab thodi hai )   ❄️ आइना खुदको क्या समझता है नक़ाब वाला चेहरा दिखाता है तो दिखाने दो हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है ❄️ ये जुगनू घेर लेता है पूरी आसमान को चाँद अकेला है पर किसी से कम थोड़ी है ❄️ रोकर…

आसमान सा बनकर देखो

आसमान | Aasman kavita

 “आसमान” ( Aasman : Hindi poem )   –> आसमान सा बनकर देखो || 1.आसमान कितना प्यारा, फैला चारो ओर है | रंग-बिरंगी छटा बटोरे, मेघों का पुरजोर है | दिन में सूरज किरण लिए, रात में चाँद-सितारे | दिन मे धूप की गर्मी रहती, रात को मोहक नजारे | –> आसमान सा बनकर देखो…

"धरा"नहीं,तो क्या"धरा"

धरा | Dhara kavita

 “धरा”  ( Dhara )     “धरा”नहीं, तो क्या”धरा” || धरती-भूमि-धरा-प्रथ्वी-हम सब का अभिमान है | बसते हैं नर-जीव-जन्तु जो, उन सब पर बरदान है | प्रथम गोद माँ की होती है, दूसरी धरती माता की | प्रथम खुरांक माँ के आँचल से, दूजी धरती माँ की | “धरा”नहीं, तो क्या”धरा” || इसी धरा पर…

सुनहरी सुबह

सुनहरी सुबह  | Kavita

    सुनहरी सुबह   ( Sunahri subah )      सुनहरी सुबह नि:स्वार्थ भाव से प्रतिदिन सुबह आती है || आँख बंद थी अभी, खोए थे मीठे सपनों में | कुछ हंसीन प्यारे पल थे, हमारे अपनों में | तभी सुनहरी धूप ने दस्तक दी, नींद टूट गई | अंगडाई ले कर उठ गए, और…