किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna

किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna

किसी को भूलना ( Kisi ko bhulna ) कभी कभी की ज़रूरत को अहमियत न कहेंकिसी को भूलना तो जुर्म है सिफ़त न कहें कहेंगे ठीक तो ख़स्ता समझ ले कैसे कोईगुज़र है हश्र के जैसा तो ख़ैरियत न कहें अधूरा रब्त है सूखा हुआ ये फूल जनाबबड़ा सहेज के रक्खे हैं ख़्वाब, ख़त न…

अदाएं तुम्हारी

अदाएं तुम्हारी | Adayein Tumhari

अदाएं तुम्हारी ( Adayein Tumhari ) लुभाती हैं दिल को अदाएं तुम्हारी।रुलाती हैं लेकिन दग़ाएं तुम्हारी। गुमां पारसाई का होता है इनमें।निराली हैं दिलबर ख़ताएं तुम्हारी। किए इस क़दर हमपे अह़सान तुमने।भुलाएंगे कैसे वफ़ाएं तुम्हारी। बजाए शिफ़ा के बढ़ाती हैं ईज़ा।पिएं किस तरह़ हम दवाएं तुम्हारी। मुह़ब्बत से कानों में कहते थे जो तुम।वो बातें…

धर्म कर्म में हो बदलाव

धर्म कर्म में हो बदलाव

धर्म कर्म में हो बदलाव धर्म , संस्कृति की सरल धारा में ,कर्म की क्षमता को भूल गए हैं । कुरीतियां , जहरीली हवा बहाकर ,कैसे सबको मानव धर्म में वापस लाएं । आंखों को बंद कर मन की ग्रंथि चोक हुई,आलोचक भी हथियार डाल चुके हैं । शुद्ध विचारों की गंभीरता पर हास्य आया…

प्यार करने की ज़माने से इजाज़त ली है

प्यार करने की ज़माने से इजाज़त ली है

प्यार करने की ज़माने से इजाज़त ली है प्यार करने की ज़माने से इजाज़त ली हैहमने ख़ुद मोल बिना बात ही आफ़त ली है है मुनासिब कहाँ हर रोज़ बहाना आँसूहमने कुछ दिन के लिए ग़म से रिआयत ली है मुफ़लिसों का नहीं कोई भी सगा दुनिया मेंसारी दुनिया ने ग़रीबों से अदावत ली है…

अश्क़ भी वो गिराने लगते हैं

अश्क़ भी वो गिराने लगते हैं

अश्क़ भी वो गिराने लगते हैं अश्क़ भी वो गिराने लगते हैंदूर जब भी हम जाने लगते हैं बातों में मुस्कराने लगते हैंहम उन्हीं के दीवाने लगते हैं जब कभी मिलते हैं सनम मुझसेतो अदा से रिझाने लगते हैं बात जिस दिन भी हो जाये उनसेदिन वही बस सुहाने लगते हैं याद आती है जब…

एक सखी नेक सखी चाहिये

एक सखी नेक सखी चाहिये

एक सखी नेक सखी चाहिये एक सखी नेक सखी चाहियेव्यस्त व मदमस्त सखी चाहिये पेश सदा प्रेम से आये तथाकर्म से आदर्श सखी चाहिये सर्व गुणों से न हो संपन्न परमन से जो हो श्रेष्ठ सखी चाहिये फल से पेड़ सी समृद्ध औ’नम्र व प्रेमाळ सखी चाहिये धीर व गंभीर चरित्रवान औ’शांत व गुणवान सखी…

दुध नी प्यांदे

पहाड़ी रचना | सुदेश दीक्षित

माह्णुआं दी पछैण जे करनी माह्णुआं दी पछैणतां न्यारिया वत्ता हंडणा सिख।जे पाणा तें आदर मान सारे यां ते।ता लोकां दा सुख दुःख वंडणा सिख।खरे खोटे मितरे बैरिये दा पता नि चलदा।सुप्पे साही फटाकेयां देई छंडणा सिख। ईह्यां नि जवानी ते जैह्र बुऴकणा।मोका दिक्खी सर्पे साहि डंगणा सिख। रूड़दे माह्णुए जो नि कोई बचांदा।डूब्बी तैरी…

क्यों रहे कोई

क्यों रहे कोई भी ईज़ा मोजूद

क्यों रहे कोई भी ईज़ा मोजूद क्यों रहे कोई भी ईज़ा मोजूद।जब मसीह़ा है हमारा मोजूद। वो ही रहता है हमेशा दिल में।अ़क्स आंखों में है उसका मोजूद। दिन भी दिन सा न लगेगा यारो।दिल में जब तक है अंधेरा मोजूद। इश्क़ ज़िन्दा है जहां में जब तक।हुस्न तब तक है जहां का मोजूद। जिससे…

इरादा डिगा नहीं सकता

इरादा डिगा नहीं सकता

इरादा डिगा नहीं सकता हवा का ज़ोर इरादा डिगा नहीं सकताचराग़े-ज़ीस्त हूँ कोई बुझा नहीं सकताहुस्ने-मतला– किसी के सामने सर को झुका नहीं सकतावजूद अपना यक़ीनन मिटा नहीं सकता फ़कत तुम्हारी ही मूरत समाई है दिल मेंइसे मैं चीर के सीना दिखा नहीं सकता किसी के प्यार से जान-ओ-जिगर महकते हैंयक़ीन उसको ही लेकिन दिला…

रक्खा गया

रक्खा गया | Rakkha Gaya

रक्खा गया ( Rakkha Gaya ) इश्क़ का इक सिलसिला रक्खा गयाज़ख़्म दे उसको हरा रक्खा गया साज़िशों से वास्ता रक्खा गयाअपना केवल फ़ायदा रक्खा गया कौन पहचानेगा तुमको फिर यहाँजब न तुमसे राब्ता रक्खा गया फिर किसी घर में न हों दुश्वारियाँदूर घर से मयकदा रक्खा गया वो बहुत मग़रूर हम मजबूर थेदर्मियाँ इक…