फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर

फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर

फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर

 

 

फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर!

कोई अपना कर गया है आज फ़िर

 

छेड़कर नग्मात दिल के प्यार में

कोई दिल रुला गया है आज फ़िर

 

छोड़ जो मुझको गया था भीड़ में

वो मुझे अब ढूंढ़ता है आज फ़िर

 

याद आयी है उसी की इतनें के

चढ़ गया उसका नशा है आज फ़िर

 

आ गये है याद अपनों के सितम

दिल उदासी से भरा है आज फ़िर

 

देखता था नफ़रतों से जो आज़म

प्यार से वो देखता है आज फ़िर

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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यहां तो जिंदगी में ग़म रहा है

 

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