सब तुम जानती हो मां | Poem in Hindi on Maa
सब तुम जानती हो मां
( Sab tum janti ho maa )
घड़ी की सुई यों के संग तुम भी भागती हो मां
किसे कब क्या चाहिए यह सब तुम जानती हो मां
प्रबंधन के लिए लाखों खर्च करते हैं लोग
कितना बेहतरीन समय प्रबंधन जानती हो मां
पापा के गुस्से को हंस कर पी जाती हो मां
बच्चों की कही सिर हिला कर टाल जाती हो माँ
घर का खाना पानी इस्त्री पूजा सब संभाल जाती हो मां
हर रिश्ते नाते कुशलता से निभा जाती हों माँ
रीति रिवाज परंपराओं को जीवित रखती हो माँ
हर किसी के दर्द को अपना बना जाती हो माँ
घर दफ्तर दोनों में सामंजस्य बना जाती हो मां
कोई माने या ना माने विलक्षण प्रतिभा की धनी हो माँ