गांधी | Poem on Gandhi in Hindi
गांधी
( Gandhi )

( Gandhi )
ये ऐसी मुहब्बत है साहब ( Yeh aisi muhabbat hai sahab ) ये ऐसी मुहब्बत है साहब जो पूॅंछकर न की जाती, दिल-दिमाग एवं जोश-होश के साथ ये की जाती। जटिल से जटिल कठिनाइयों से भी ये निपट लेती, उदास चेहरे पर भी ख़ुशियो की लहर छोड़ जाती।। दुनियां इसको बेवजह शक्ल एवं कपड़ो…
व्यर्थ की सोच ( Vyarth ki soch ) लक्ष्य सर हटकर अलग एक दिन की भी व्यर्थ सोच कर सकती है भ्रमित आपको बहक सकते हैं गैर की संगत से बदल सकती है मार्ग की दिशा और आप जा सकते हैं अपने उद्देश्य सर दूर आपकी प्रमुखता आपसे नही आपके कर्म से ही होती…
शारदीय नवरात्र ( Shardiya Navratra ) प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार श्री गणेश दर्शन मां शैलपुत्री, सुख समृद्धि अथाह वरदान । द्वितीय आभा ब्रह्मचारिणी, ज्योतिर्मय जीवन पथ विधान । चंद्र घंटा अनूप रूप तृतीय , सद्यःफलदायक विमल बहार । प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार ।। चतुर्थ दिवस कूष्मांडा मात, सृजन…
राखी का त्यौहार निराला ( Rakhi ka Tyohar Nirala ) राखी का त्यौहार निराला ,जाने ये संसार। सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।। माथे तिलक लगाकर भाई ,बहना चूमे माथ। बाँध कलाई रक्षा बंधन,पाती उसका साथ।। रक्षा बंधन सूत्र नेह का ,पावन होती डोर। वचन भ्रातृ रक्षा का देता ,होकर भाव विभोर। रंग बिरंगी…
चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…
होली पर्व ( Holi Parv ) ( 2 ) होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा । होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा । होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये । होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले । होली पर्व पर धर्म से…
ये ऐसी मुहब्बत है साहब ( Yeh aisi muhabbat hai sahab ) ये ऐसी मुहब्बत है साहब जो पूॅंछकर न की जाती, दिल-दिमाग एवं जोश-होश के साथ ये की जाती। जटिल से जटिल कठिनाइयों से भी ये निपट लेती, उदास चेहरे पर भी ख़ुशियो की लहर छोड़ जाती।। दुनियां इसको बेवजह शक्ल एवं कपड़ो…
व्यर्थ की सोच ( Vyarth ki soch ) लक्ष्य सर हटकर अलग एक दिन की भी व्यर्थ सोच कर सकती है भ्रमित आपको बहक सकते हैं गैर की संगत से बदल सकती है मार्ग की दिशा और आप जा सकते हैं अपने उद्देश्य सर दूर आपकी प्रमुखता आपसे नही आपके कर्म से ही होती…
शारदीय नवरात्र ( Shardiya Navratra ) प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार श्री गणेश दर्शन मां शैलपुत्री, सुख समृद्धि अथाह वरदान । द्वितीय आभा ब्रह्मचारिणी, ज्योतिर्मय जीवन पथ विधान । चंद्र घंटा अनूप रूप तृतीय , सद्यःफलदायक विमल बहार । प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार ।। चतुर्थ दिवस कूष्मांडा मात, सृजन…
राखी का त्यौहार निराला ( Rakhi ka Tyohar Nirala ) राखी का त्यौहार निराला ,जाने ये संसार। सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।। माथे तिलक लगाकर भाई ,बहना चूमे माथ। बाँध कलाई रक्षा बंधन,पाती उसका साथ।। रक्षा बंधन सूत्र नेह का ,पावन होती डोर। वचन भ्रातृ रक्षा का देता ,होकर भाव विभोर। रंग बिरंगी…
चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…
होली पर्व ( Holi Parv ) ( 2 ) होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा । होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा । होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये । होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले । होली पर्व पर धर्म से…
ये ऐसी मुहब्बत है साहब ( Yeh aisi muhabbat hai sahab ) ये ऐसी मुहब्बत है साहब जो पूॅंछकर न की जाती, दिल-दिमाग एवं जोश-होश के साथ ये की जाती। जटिल से जटिल कठिनाइयों से भी ये निपट लेती, उदास चेहरे पर भी ख़ुशियो की लहर छोड़ जाती।। दुनियां इसको बेवजह शक्ल एवं कपड़ो…
व्यर्थ की सोच ( Vyarth ki soch ) लक्ष्य सर हटकर अलग एक दिन की भी व्यर्थ सोच कर सकती है भ्रमित आपको बहक सकते हैं गैर की संगत से बदल सकती है मार्ग की दिशा और आप जा सकते हैं अपने उद्देश्य सर दूर आपकी प्रमुखता आपसे नही आपके कर्म से ही होती…
शारदीय नवरात्र ( Shardiya Navratra ) प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार श्री गणेश दर्शन मां शैलपुत्री, सुख समृद्धि अथाह वरदान । द्वितीय आभा ब्रह्मचारिणी, ज्योतिर्मय जीवन पथ विधान । चंद्र घंटा अनूप रूप तृतीय , सद्यःफलदायक विमल बहार । प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार ।। चतुर्थ दिवस कूष्मांडा मात, सृजन…
राखी का त्यौहार निराला ( Rakhi ka Tyohar Nirala ) राखी का त्यौहार निराला ,जाने ये संसार। सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।। माथे तिलक लगाकर भाई ,बहना चूमे माथ। बाँध कलाई रक्षा बंधन,पाती उसका साथ।। रक्षा बंधन सूत्र नेह का ,पावन होती डोर। वचन भ्रातृ रक्षा का देता ,होकर भाव विभोर। रंग बिरंगी…
चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…
होली पर्व ( Holi Parv ) ( 2 ) होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा । होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा । होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये । होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले । होली पर्व पर धर्म से…