प्रार्थना
प्रार्थना
हो दया का दान प्रभु , विनती यही है आप से
हम बने इस योग्य प्रभु , बचते रहें हर पाप से।
जो मिला जीवन हमें ,प्रभु एक ही आधार हो
कर सकें नेकी बदी , ऐसा मेरा व्यवहार हो
हो बुराई दूर खुद , हे! प्रभु तेरे प्रताप से,
हो दया का दान प्रभु ,विनती यही है आप से।
हम रहें बढ़ते सदा, सृजन के उन्नति राह पे
लोकहित में कार्य को ,करते रहें उत्साह से
स्वार्थ से हों दूर हम , हों दूर दुर्जन ताप से,
हो दया का दान प्रभु ,विनती यही है आप से।
दीन हों या हीन हों , सबके लिए उपकार हो
प्रेम की गंगा बहे , कुछ ऐसा ही संसार हो
कर दिखाएं हम सभी निज कर्म के विश्वास से,
हो दया का दान प्रभु ,विनती यही है आप से।
काम आए देश के,कण कण लहू सम्मान में
भक्ति का हो भाव प्रभु,इस देश का ईमान में
हो सुबह का काम प्रभु, शुरुआत तेरे नाम से,
हो दया का दान प्रभु ,विनती यही है आप से।
रचनाकार : रामबृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
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