Bhor Hone Tak
Bhor Hone Tak

भोर होने तक

( Bhor Hone Tak )

 

भोर तक तो चलना होगा
रुकना और ठहरना होगा
सफर है हमारी जिंदगी का
लडखडाना और संभलना होगा

हर मौसम के साथ रहना होगा
हर मोड़ से हमें गुजरना होगा
होंगे कईयों से गिले शिकवे भी
सब में समझाना और समझना होगा

धूप और छांव जरूरी है दोनों ही
सुख-दुख भी रहेंगे साथ दोनों ही
हर कोई होगा नहीं हमदर्द आपका
अपनों और बेगानों से भी मिलना होगा

रंग से ही बनते हैं रंग अलग
ढंग से ही सीखे जाते हैं ढंग अलग
मन मुताबिक ही सब नहीं होता है
हमें ही बननाऔर बनाना भी होगा

विनम्रता और कठोरता भी जरूरी है
उष्णता संग शीतलता भी जरूरी है
समझौते भी रखते हैं बहुत मायने
समझौते के बीच से ही बढ़ना होगा
भोर तक तो चलना होगा

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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