Kavita Meri Mata Rani
Kavita Meri Mata Rani

मेरी माता रानी

( Meri mata rani ) 

 

सुख और समृद्धि सबको प्रदान करती है वही,
मेरी माता रानी के बराबर यहां पर कोई नही।
किया असुरों का विनाश दिया भक्तों का साथ,
उनके जैसी शक्ति आज किसी के पास नही।।

एक हाथ त्रिशूल रखती दूसरे में कमल रखती,
कभी ज्ञान बाॅंटती कभी ताण्डव रुप दिखाती।
जब भीड़ पड़ें भक्तों पर सम्पूर्ण कष्ट हर लेती,
मन की मुरादें पूरी करती राह नयी दिखाती।।

है पहाड़ों पर निवास फिर भी करते सब आस,
संपूर्ण देवी-देवताओं में आप सबसे हो ख़ास।
सबसे भोली भाली माता रानी आप अंतर्यामी,
बढ़ाया नारी का मान किया सबका विकास।।

करती‌ हो शेर की सवारी मैया आप है भवानी,
कभी बन जाती रणचण्डी जगदंबे विनाशिनी।
तेरे दर पर जो आता खाली वो कभी न जाता,
ऊॅंचे पर्वतों की देवी तुम वहां की निवासिनी।।

हमें अन्न धन बल ज्ञान सब आपसे ही मिलता,
आप ही है ज्वाला एवं आप ही संतोषी माता
नवरात्रों में आपके जगह जगह लगाते भंडारा,
करते है भजन एवम लगाते है सब जगराता।‌।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here