Ramakant soni ke dohe

दुर्लभ | Ramakant Soni ke Dohe

दुर्लभ

( Durlabh )

 

दुर्लभ है मां बाप भी,
मिलते बस एक बार।
सेवा कर झोली भरो,
करो बड़ों को प्यार।

 

मिले दुर्लभ औषधियां,
बड़े जतन के बाद।
असाध्य व्याधियां मिटे,
हरे हृदय विषाद।

 

कलाकृति पुराणिक हो,
बहुमूल्य समझ जान।
दुनिया में दुर्लभ सभी,
रचता वो भगवान।

 

अब तो दुर्लभ हो गया,
अपनापन अनमोल।
स्वार्थ में जग हो रहा,
मतलब के मीठे बोल।

 

नर जीवन अनमोल है,
दुर्लभ  गुणी जन जान।
सदाचार अरु प्रेम से,
नर पाता पहचान।

 

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

अहसास | Ahsas par Chhand

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *