Sanatan dharm par kavita

सनातन धर्म | Sanatan dharm par kavita

सनातन धर्म 

( Sanatan dharm )

 

आज गर्व करों, कि हम हिन्दू है,
जिसका आदि है, ना कोई अन्त।
धर्म रक्षक और, सनातनी जो है,
इसमें ज्ञान के है, दो पवित्र ग्रंथ।।

 

यह सनातन धर्म है, बहुत प्यारा,
रामायण गीता पढ़ते, वृज बाला।
श्री राम के नाम में, बहुत सहारा,
शाश्वत / हमेशा बनें रहने वाला।।

 

जीभ जिसका, श्रीराम को रटता,
हर श्वास राम नाम, जो भजता।
काल भी उसका, नहीं बिगाड़ता,
तकदीर उसका, बदल हीं जाता।।

 

बुराईयाँ अपनें, दिल से निकालो,
राक्षस रुपी रावण, मार भगाओ।
हम जन्म जन्म से, राम के भक्त,
श्री राम निभाऐ, मर्यादा हर वक्त।।

 

हम बात करतें, सनातन धर्म की,
मक़सद यह, जिज्ञासा भरने की।
सब रामायण का, अनुसरण करें,
जय श्री राम का नारा,लगाते रहें।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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