शाम लगभग नौ बजे | Shaam lagbhag nau Baje
शाम लगभग नौ बजे
( Shaam lagbhag nau baje )

( Shaam lagbhag nau baje )
हम होंगे कामयाब ( Hum honge kamyab ) कभी ना कभी हम भी होगें कामयाब, ये उम्मीद का दीया जो है हमारे पास। ॲंधेरा मिटाकर हम भी करेंगें प्रकाश, एक ऐसी उर्जा होती है सभी के पास।। देखी सारी दुनियां तब समझें है आज, क्या-क्या छुपाकर लोग रखते है राज। छोड़ना पड़ता है घर…
माँ से ख़ुशी माँ दुर्गा का साया जीवन में हो lआयी ख़ुशियों की छाया अहो llपग – पग शांति का निवास हो lप्रतिदिन प्रकाश का वास हो llतू अंबे , जग दंबे lतुही दुर्गा , तुही लक्ष्मी ll खेलो – कूदो उल्लास के आँचल में lक्लेश – कष्ट दूर हो छाह के भाव में llओड…
धूमिल होता आकाश ( Dhumil hota aakash ) रेत के टीले पर बनाया था घर हमने दूर की आंधी ने नींव ही खोखली कर डाली उड़ते रहे छप्पर बांस खड़खड़ाते रहे गरीबी की दीवार चादर न बन सकी हवा के बहाव मे चल दिए वे भी जिनके लिए कभी हम बहुत कुछ थे…सब कुछ…
रिद्धि-सिद्धि के दातार ( Riddhi-Siddhi ke datar ) हर कार्य प्रारम्भ करतें बाबा हम लेकर आपका नाम, दीप जलाकर पुष्प चढ़ाकर शुरु करतें अपना काम। भोग लड़वन का लगातें आपके गजानंद सवेरे शाम, बुद्धि कौशल के देवता आपकों कोटि-कोटि प्रणाम।। शादी हो या कोई उद्धघाटन मुंडन अथवा गृह प्रवेश, सिद्धविनायक मंगलमूर्ति शुभम हर-लेते हो…
हमारा पर्यावरण ( Hamara Paryavaran ) मान रखो पर्यावरण का, करो प्रण वृक्षारोपण का, तभी प्रकृति मुस्काएगी, जीवन मे खुशियाॅ लाएगी, पेंड़ पौधे फल फूल क्यारियों से, वन बाग उपवन वाटिका विभूषित हो, नदी झरने ताल समुन्दर स्वच्छ हो, हमारा पर्यावरण दूषित न हो, स्वच्छ साफ धरा रहे, कानन हरा भरा रहें, पर्वत प्रहार…
क़लम की ताक़त ( Kalam ki taqat ) क़लम चलती ही गई लेकिन स्याही ख़त्म ही नहीं हुई, चेहरे पर झुर्रियां और ऑंसूओं की लाईन सी बन गई। लोगों ने कहा क्या होगा लिखनें से पर हाथ रुकें नहीं, जब रूपए आने लगें तो हमारी तकदीर ही बदल गई।। अब वही लोग…
हम होंगे कामयाब ( Hum honge kamyab ) कभी ना कभी हम भी होगें कामयाब, ये उम्मीद का दीया जो है हमारे पास। ॲंधेरा मिटाकर हम भी करेंगें प्रकाश, एक ऐसी उर्जा होती है सभी के पास।। देखी सारी दुनियां तब समझें है आज, क्या-क्या छुपाकर लोग रखते है राज। छोड़ना पड़ता है घर…
माँ से ख़ुशी माँ दुर्गा का साया जीवन में हो lआयी ख़ुशियों की छाया अहो llपग – पग शांति का निवास हो lप्रतिदिन प्रकाश का वास हो llतू अंबे , जग दंबे lतुही दुर्गा , तुही लक्ष्मी ll खेलो – कूदो उल्लास के आँचल में lक्लेश – कष्ट दूर हो छाह के भाव में llओड…
धूमिल होता आकाश ( Dhumil hota aakash ) रेत के टीले पर बनाया था घर हमने दूर की आंधी ने नींव ही खोखली कर डाली उड़ते रहे छप्पर बांस खड़खड़ाते रहे गरीबी की दीवार चादर न बन सकी हवा के बहाव मे चल दिए वे भी जिनके लिए कभी हम बहुत कुछ थे…सब कुछ…
रिद्धि-सिद्धि के दातार ( Riddhi-Siddhi ke datar ) हर कार्य प्रारम्भ करतें बाबा हम लेकर आपका नाम, दीप जलाकर पुष्प चढ़ाकर शुरु करतें अपना काम। भोग लड़वन का लगातें आपके गजानंद सवेरे शाम, बुद्धि कौशल के देवता आपकों कोटि-कोटि प्रणाम।। शादी हो या कोई उद्धघाटन मुंडन अथवा गृह प्रवेश, सिद्धविनायक मंगलमूर्ति शुभम हर-लेते हो…
हमारा पर्यावरण ( Hamara Paryavaran ) मान रखो पर्यावरण का, करो प्रण वृक्षारोपण का, तभी प्रकृति मुस्काएगी, जीवन मे खुशियाॅ लाएगी, पेंड़ पौधे फल फूल क्यारियों से, वन बाग उपवन वाटिका विभूषित हो, नदी झरने ताल समुन्दर स्वच्छ हो, हमारा पर्यावरण दूषित न हो, स्वच्छ साफ धरा रहे, कानन हरा भरा रहें, पर्वत प्रहार…
क़लम की ताक़त ( Kalam ki taqat ) क़लम चलती ही गई लेकिन स्याही ख़त्म ही नहीं हुई, चेहरे पर झुर्रियां और ऑंसूओं की लाईन सी बन गई। लोगों ने कहा क्या होगा लिखनें से पर हाथ रुकें नहीं, जब रूपए आने लगें तो हमारी तकदीर ही बदल गई।। अब वही लोग…
हम होंगे कामयाब ( Hum honge kamyab ) कभी ना कभी हम भी होगें कामयाब, ये उम्मीद का दीया जो है हमारे पास। ॲंधेरा मिटाकर हम भी करेंगें प्रकाश, एक ऐसी उर्जा होती है सभी के पास।। देखी सारी दुनियां तब समझें है आज, क्या-क्या छुपाकर लोग रखते है राज। छोड़ना पड़ता है घर…
माँ से ख़ुशी माँ दुर्गा का साया जीवन में हो lआयी ख़ुशियों की छाया अहो llपग – पग शांति का निवास हो lप्रतिदिन प्रकाश का वास हो llतू अंबे , जग दंबे lतुही दुर्गा , तुही लक्ष्मी ll खेलो – कूदो उल्लास के आँचल में lक्लेश – कष्ट दूर हो छाह के भाव में llओड…
धूमिल होता आकाश ( Dhumil hota aakash ) रेत के टीले पर बनाया था घर हमने दूर की आंधी ने नींव ही खोखली कर डाली उड़ते रहे छप्पर बांस खड़खड़ाते रहे गरीबी की दीवार चादर न बन सकी हवा के बहाव मे चल दिए वे भी जिनके लिए कभी हम बहुत कुछ थे…सब कुछ…
रिद्धि-सिद्धि के दातार ( Riddhi-Siddhi ke datar ) हर कार्य प्रारम्भ करतें बाबा हम लेकर आपका नाम, दीप जलाकर पुष्प चढ़ाकर शुरु करतें अपना काम। भोग लड़वन का लगातें आपके गजानंद सवेरे शाम, बुद्धि कौशल के देवता आपकों कोटि-कोटि प्रणाम।। शादी हो या कोई उद्धघाटन मुंडन अथवा गृह प्रवेश, सिद्धविनायक मंगलमूर्ति शुभम हर-लेते हो…
हमारा पर्यावरण ( Hamara Paryavaran ) मान रखो पर्यावरण का, करो प्रण वृक्षारोपण का, तभी प्रकृति मुस्काएगी, जीवन मे खुशियाॅ लाएगी, पेंड़ पौधे फल फूल क्यारियों से, वन बाग उपवन वाटिका विभूषित हो, नदी झरने ताल समुन्दर स्वच्छ हो, हमारा पर्यावरण दूषित न हो, स्वच्छ साफ धरा रहे, कानन हरा भरा रहें, पर्वत प्रहार…
क़लम की ताक़त ( Kalam ki taqat ) क़लम चलती ही गई लेकिन स्याही ख़त्म ही नहीं हुई, चेहरे पर झुर्रियां और ऑंसूओं की लाईन सी बन गई। लोगों ने कहा क्या होगा लिखनें से पर हाथ रुकें नहीं, जब रूपए आने लगें तो हमारी तकदीर ही बदल गई।। अब वही लोग…