शौर्य दिवस | Shaurya Diwas

शौर्य दिवस

( Shaurya diwas )

 

क्रोधित था हर हिन्दू का मन, बाबर का जो नाम लिया।
इष्ट राम का मन्दिर तोडा, दाता का अपमान किया।

सुलग रही थी ज्वाला मन मे, दुष्टों का प्रतिकार किया।
6 दिसम्बर दिन था वो, जब ढाँचे को ही ढाह दिया।

पल मे मटियामेट हुआ वो, बाबर का जो पाप था वो।
नमन है कोठारी बन्धु को, जिसने प्रथम ये काम किया।

जय श्री राम के नारे से, साकेत की धरती गुँजी थी।
दुष्ट मुलायम की गोली से, हिन्दू गौरव रोई थी।

उसका ही प्रतिकार है ये, हिंदू ने फिर ललकारा है।
रामलला की जन्म स्थली पर, मन्दिर हमे बनाना है।

बालक था जब मैने देखा, गोली की बौछारों को।
हिन्दू शव को क्षीर्ण किया, फेका सरयू की धारे मे।

शेर और सिंहो की ज्वाला, धधक रही है छाती मे।
प्रण है इस धरती माता का, मन्दिर बनेगा वही पे।

सिंहो की माता पुत्रों के, बलिदानों पे गर्वित है।
मन्दिर के निर्माण के खातिर, लाखों संतति अर्पित है।

जय श्री राम नाम महान, मिलकर बोलो सीताराम।
खत्म हो रहा इन्तजार, अब होगा मन्दिर निर्माण।

भाव मेरी भावना के, ज्वाला सुलग रहे है।
शब्दों मे लिख तर्पण मेरा,भावना धधक रहे है।

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें :- 

मोहिनी नारी | Mohini Nari

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *