शिक्षण सेवा के २१ वर्ष
शिक्षण सेवा के २१ वर्ष
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ख़ुशी का है दिन आज-
मना लो खुशी,
आज ही के दिन हुई थी-
तुम्हारी नियुक्ति।
ली थी तुमने-
पद , गोपनीयता , सेवा की शपथ,
खायी थी कसम होगे न पथ भ्रष्ट।
आज २१वीं बरसी पर दिल पर हाथ रख-
पूछो अन्तर्मन से कुछ सवाल,
इन वर्षों में, अपने कर्मों से!
कितनों को किया निहाल?
या सेवा के बदले नौकरी किए हो,
येन-केन प्रकारेण संजोए उसे हो?
युगों से चली आ रही बीज ही बोए हो?
या किए हो कुछ अलग?
क्या देख पा रहे हो उसका कुछ झलक?
वाकई कुछ ऐसा हस्तक्षेप किए हो!
दुनिया , समाज को नई दिशा दिए हो?
बच्चों के कार्य में लिप्त रहकर-
कभी जुड़ाव महसूस उनसे किए हो?
या वर्गकक्ष में सिर्फ-
संवाद एकतरफा ही किए हो?
मनन करो ?
दिन है खुशी का-
मनाओ ,
जमकर नाचो गाओ।
पर दिल पर हाथ रखकर सोचना जरूर!
हुए तो नहीं हो मगरूर ?
कितनों को दी है तुमने ऐसी खुशी?
कि जीवन में भी उनके आए-
कभी ऐसी ही गुदगुदी!
?
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
( *बीपीएससी द्वारा चयनित 1999 बैच के सभी शिक्षक साथियों को
? हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ? *)
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Congratulations sir … And nine expression.. thank you so much for this kavita