शिंजो अबे का इस्तीफा
शिंजो अबे का इस्तीफा
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कोरोना के बीच
जापानी प्रधानमंत्री ने
इस्तीफे की घोषणा की है,
सुन जापानियों में
एक हलचल सी मची है।
शेयर बाजार धराशाई हो गया,
एक स्थिर सरकार का यूं विदाई हो गया।
महामारी के बीच
नया संकट पैदा हुआ है
अभी आबे का कार्यकाल,
एक वर्ष बचा हुआ है।
कोरोना फैलने के बाद से ही-
जापानी जवाब मांग कर रहे थे,
शिंजो बताएं?
कोरोना से निपटने को क्या किए?
दो महीनों से किसी कार्यक्रम में नहीं आए!
स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल जा रहे थे।
तभी से लोग कयास लगा रहे थे,
लोगों को जवाब नहीं दिए जा रहे थे।
‘अबे’ सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे,
अपने दादा के नक्शे कदम पर चल रहे थे।
रिकार्ड समय तक प्रधानमंत्री रहे ,
सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री थे बने।
शिंजो अबे जापान को सुंदर, सामान्य
और बड़ी सैन्य शक्ति वाला देश
बनाना चाह रहे थे,
इन्हीं नीतियों पर अमल कर रहे थे।
अति राष्ट्रवादी नीतियों के चलते अमेरिका के करीब आए,
राष्ट्रपति ट्रंप उन्हें खूब भाए।
चीन और कोरिया को किया नाराज,
मंदी से देश को निकाल,बचाए रखा ताज ।
इस्तीफे से स्थिरता के इस काल की समाप्ति होगी,
लोग सशंकित हैं!
क्या अस्थिरता की वापसी होगी ?
2006 से ही शिंजो पद पर सुशोभित थे,
अब देखना है कि कौन बन रहे हैं?
चुनौतियां कई हैं,
अनुभवी सरकार गई है।
कोरोना से निपटने,
जापानी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने;
विदेश नीति पर करना होगा विचार,
जापान के अगले प्रधानमंत्री-
और नीतियों पर नजर रखेगा संसार।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि
जनता में भरोसा पैदा करना होगा,
उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा।
यही सरकारों की सफलता की-
पहली सीढ़ी है,
21 वीं सदी की जनता पढ़ी लिखी
और युवा पीढ़ी है;
इन्हें गुमराह करना आसान नहीं है।
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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