श्रीराम नाम-वंदना | Kavita
श्रीराम नाम-वंदना
( Shri Ram Naam Vandana )
राम-नाम आनंद सुख मूल।
परमशांति साधक पा जाए जपत मिटे जीवन-पथ शूल।।
घायल जटायु जपते-जपते पा गए मुनि दुर्लभ हरि धाम।
पश्चाताप में जलते भरत को इसी नाम से मिला विश्राम।।
जी रही थी इसी सहारे राम मिलन को शबरी गंवार।
नाम-मग्न सुतिक्ष्ण को खुद देखें राम खङे दुआर।।
लंका में बस यही सहारा विभिषण दुखित-जानकी का।
दूर किया भ्रम इसी नाम ने गरूङ-काक-पार्वती का।।
दर-दर ठोकर खाने वाले हुए शांत मन ‘तुलसीदास’।
‘केशव’ जैसे रसिक कवि भी इसी नाम के बन गए दास।
इसी नाम में लौ लगाकर बने पवन-सुत मंगलमूर्ति।
महामंगल कहलाए शिवजी राम नाम की अमर है कीर्ति।।
रहूं आनंद से हर हालत में मन को इतनी शक्ति दो।
राम-नाम की करूं वंदना “कुमार” को शिव-भक्ति दो।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(M A. M.Phil. B.Ed.)
हिंदी लेक्चरर ,
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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