सुरमई ख़्वाब | Surmai Khwab
सुरमई ख़्वाब
( Surmai Khwab )
शाख पे फूल मुहब्बत के खिलाने आजा।
मैं हूँ तेरी ये ज़माने को बताने आजा।।
रह के तन्हा यूँ सफर मुझ से न कट पायेगा,
ज़िंदगी भर के लिए साथ निभाने आजा।।
डूब जाऊँ न कहीं ग़म के भँवर में इक दिन,
मेरी कश्ती को किनारे तू लगाने आजा।।
फ़ासले जान न लें लें कहीं इक दिन मेरी,
दूरियाँ जो भी हैं अब उनको मिटाने आजा।।
ये जुदाई की घड़ी अब न सहेगी ममता,
सुरमई ख्वाब निगाहों में सजाने आजा।।