झाडू

झाडू | Jhadu | Kavita

झाडू  ( Jhadu ) उठ कर सुबह पहला काम…|| 1.सुबह हुई फिर नींद खुली, और हांथ मे ले ली जाती है | सबसे पहले उठ सुबह सबेरे, हर रोज घसीटी जाती है | आंगन कमरे दहलानों का, सब कूडा इकठ्ठा करती है | काम खतम कर सब अपना, कोने मे रक्खी रहती है | उठ…

झाडू वाला

झाडू वाला | Jhadu wala | Kavita

झाडू वाला ( Jhadu Wala )   कचडे वाला आया……|| 1.ये कौन आया सुबह-सुबह, कब से शोर मचाता है | खर-खर की करता आवाजें, हमें सोते हुए जगाता है | कचडा वाला आया कहकर, लम्बी आवाज लगाता है | भैया-भाभी कचडा दे दो, कहकर कचडा ले जाता है | कचडे वाला आया……|| 2.पूँछा मैने माँ…

किस पर लिखूँ

किस पर लिखूँ | Poem kis par likhu

किस पर लिखूँ ( Kis par likhu )    1. आखिर,किस पर क्या लिखूँ || कलम उठा ली हांथ मे, कागज कोरा ले लिया | बैठा गया मै सोच के, किसी परी पर कविता लिखूँ |  आखिर,किस पर क्या लिखूँ || 2.लिखने बैठा तो सोच मे पड गया, किस-किस की अदाएं लिखूँ | मगर दिख…

वो-सनम्

वो-सनम् | Poem O – Sanam

 वो-सनम्  ( O Sanam )    क्या ? आज भी तुम “वही”हो || 1.एक वक्त था ना तुम मुझे जानते थे,ना मै तुम्हें जनता था | फिर दोनो की उम्र कि जरूरत थी,वक्त का भी फैसला था | न मैने तुम्हें देखा न तुमने मुझे देखा,सिलसिला शुरू हुआ | दिली चाहत थी न कोई सवाल,बातों…

सुनहरी यादें

सुनहरी यादें | Kavita sunheri yaadein

सुनहरी यादें ( sunheri yaadein )   तुमसे मिले थे पहली दफा याद है अब भी मुझे वो तुम्हारी सुनहरी यादें।   भुलाई नहीं जा रही है अब भी दिल से वो सुनहरी यादें जब हम ने बहुत अरमान अपने दिल में संजोए थे सोचा था, मिलेंगे जब भी हम चाहेंगे टूट कर एक-दूसरे को।…

प्रथम-गुरू

प्रथम-गुरू | Pratham guru kavita

“प्रथम-गुरू” ( Pratham guru )   गुरु है ब्रम्हा-गुरु है विष्णु, गुरु हैं मेरे महेश्वरा प्रथम गुरु मेरे मात-पिता, दिया जनम दिया आसरा उनके जैसा धरती में क्या, नहीं अम्बर में भी दूसरा पाल-पोस कर बड़ा किया, नहीं होने दी कमी कोई प्यार नहीं कोई उनके जैसा, न ही मिलावट है कोई गुरु है ब्रम्हा,गुरु…

सावन

सावन | Swan kavita

सावन  ( Sawan )   –> आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते || 1.फूल खिल रहे बगियन में, रंग बिरंगे तरह-तरह | बादलों में बिजली चमके, रिम-झिम बरसे जगह-जगह | कहीं मूसलाधार हो बारिश, टिम-टिम बरसे कहीं-कहीं | कोई कहता रुक जा मालिक, कहता कोई नहीं-नहीं | –>आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते…

दीबार

दीबार | Deewar kavita

 “दीबार”  ( Deewar )   –>मत बनने दो रिस्तों में “दीबार” || 1.अगर खडी हो घर-आंगन, एक ओट समझ मे आती है | छोटी और बड़ी मिलकर एक, सुंदर आवास बानाती है | मत खडी होने दो रिस्तों मे, टकरार पैदा कारती है | हंसते गाते हमारे अपनों मे, दरार पैदा करती है | –>मत…

चन्दन

चन्दन | Chandan kavita

 “चन्दन” ( Chandan : Kavita ) –>”चन्दन तुम बन जाओ”……|| 1.कहने को लकडी है, ठंडक समेटे है | भीनी सी खुशबू है, विष-धर लपेटे है | घिंस के जब पत्थर पर, माथे में लगता है | ऊंगली महकाती है, चन्दन वो लकडी है | –>”चन्दन तुम बन जाओ”……|| 2.चन्दन की राहों में, उलझन हजारों हैं…

आईना

आईना | Aaina kavita

“आईना” ( Aaina : kavita ) –> सच्चाई का प्रतीक है “आईना” || 1.सब कहते हैं सच्चा-झूँठा, किस पर यकीन करें | देख कर चेहरा बातें करते, किस पर यकीन करें | किसके दिल मे क्या रहता, कुछ पता नहीं चलता है | एक आईना झूँठा न बोले, जो सच है सो कहता है |…