दिल का करार ले गए है मुस्कुरा के वो
दिल का करार ले गए है मुस्कुरा के वो दिल का करार ले गए है मुस्कुरा के वो। जान ले चले है शरम से नज़र झुका के वो।। जब मिले कभी है बींध कर ही दिल को चल दिए। तीर सी नज़र से खींच कर निशाना लगा के वो।। शिद्त से …
दिल का करार ले गए है मुस्कुरा के वो दिल का करार ले गए है मुस्कुरा के वो। जान ले चले है शरम से नज़र झुका के वो।। जब मिले कभी है बींध कर ही दिल को चल दिए। तीर सी नज़र से खींच कर निशाना लगा के वो।। शिद्त से …
यादों में उसकी रोता हूँ यादों में उसकी रोता हूँ! जीवन में इतना तन्हा हूँ छूना मत बिखरुंगा वरना अंदर से इतना टूटा हूँ तोड़ दिया है दिल प्यार भरा उल्फ़त जिससे मैं करता हूँ मैं नफ़रत करने वालो को यार जला दूंगा शोला हूँ वो ही देता है…
इश्क फरमाना नहीं आता मुसलसल अश्क अगर जो बरसाना नहीं आता। तो समझो आपको फिर इश्क फरमाना नही आता। पशीना पाँव का सर तक जब पहुँच जाता है, बिना मेहनत किये तो एक भी दाना नहीं आता। मिली है दौलत तो हर जगह पर बर्बाद न कर, किसी के हक में…
दिल तुझे देख बहल जाता है दिल तुझे देख बहल जाता है। साथ तेरा ही अब तो भाता है।। तेरा नज़रें झुका के मुस्काना। मुझको तेरे क़रीब लाता है।। पास आना तेरा बहाने से । दिल में अरमां कई जगाता है।। डूब जाऊँ तेरे तसव्वुर में । रोज ये ही …
तुम जो यूं नज़रें मिला रहे हो तुम जो यूं नज़रें मिला रहे हो। जिगर पे नश्तर चला रहे हो।। जो जैसा है वैसा ही रहेगा। क्यों अपने दिल को जला रहे हो।। बहुत है अहसान ये तुम्हारा । नज़र से जो मय पिला रहे हो।। हरेक पल तुम यूँ …
कुछ दिन पहले कुछ दिन पहले मैं आकर्षित हो गया था उसके गौर वर्ण पर उसके मदहोश करते लफ़्ज़ों पर उसके उभरे उरोजों पर…… उसने कहा था- तुम भी मुझे अच्छे लगते हो मैं जुड़ तो सकती हूं पर…… कैसे तेरे साथ आ सकती हूं.? शंकाओं ने घेरा हुआ है आऊँ…
परीक्षा मंत्र सुनो, तुम्हे सुनाने आया हूं। जागो, तुम्हें जगाने आया हूं। देखो, तुम्हें दिखाने आया हूं। बोलो तुम्हे बुलाने आया हूं।। पढ़ी पुस्तके पलटो, उत्तर मिल जायेगा, वर्ष भर लिखी नोट्स को देखो, उत्तर मिल जायेंगे। बस मेरी इक बात मानो ध्यान से पढ़ो ध्यान से सुनो, तुम्हे अपने जीवन के एक-एक मार्ग…
किताबों से सदा वो आ रही थी किताबों से सदा वो आ रही थी ग़ज़ल यादों की कोई रो पड़ी थी दयारें आ रही थी नफ़रतों की मुहब्बत की कली मुरझा रही थी खबर दिल को नहीं थी बेवफ़ा है वफ़ा की सोचकर राहें चुनी थी वो आंखें देखती है…
आँखों की नमी मुहब्बत को जाहिर कर देता है आँखों की नमी मुहब्बत को जाहिर कर देता है इंसान को मुहब्बत भी ज़रा कायर कर देता है यह नहीं है की में तुझसे बात करना नहीं चाहता बात बात पर तेरी आँखें मुझको बाहिर कर देता है तेरे साथ, तुझ से…
प्रेम में पड़ कर अक्सर प्रेम से ओत प्रोत पुरूष समर्पित कर देता है पत्नी के हिस्से का प्रेम अपनी प्रेमिका को खुद के अस्तित्व को स्वयं ही नष्ट कर लेता है और….. ढूँढता है अपना अस्तित्व प्रेमिका के अंदर अस्तित्वहीन पुरूष स्वयं ही खत्म कर लेता है अपना महत्व और……… महत्वहीन पुरूष नहीं…