Sad Ghazal -जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहां
जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहा जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहां कट रही ये जिंदगी आज़म अकेली है यहां खा गया हूँ मात उल्फ़त में किसी से मैं यारों प्यार की इक चाल मैंनें भी तो खेली है यहां नफ़रतों की ही मिली है चटनी खाने…