जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहां

Sad Ghazal -जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहां

जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहा     जिंदगी की ही नहीं कोई सहेली है यहां कट रही ये जिंदगी आज़म अकेली है यहां   खा गया हूँ मात उल्फ़त में किसी से मैं यारों प्यार की इक चाल मैंनें भी तो खेली है यहां   नफ़रतों की ही मिली है चटनी खाने…

खंजर

खंजर

खंजर **   नरम  पत्तों  के  शाख से हम भी बहुत ही कोमल थे पर। है छीला लोगो ने यू बार-बार की अब हम,खंजर से हो गये।   ** जिसे  ही  माना  अपना  उसने  ही  आजमाया  इतना। कि शेर हृदय के कोमल भाव भी सूख के,पिंजर से हो गये।   ** मिट  गये  भाव  सुधा …

ज़रा मौसम बदलने दे बहारें फिर से आएगी

Hindi Poetry On Life -ज़रा मौसम बदलने दे बहारें फिर से आएगी

ज़रा मौसम बदलने दे बहारें फिर से आएगी   ज़रा  मौसम  बदलने   दे  बहारें  फिर  से  आएगी। चमन में गुल ही गुल होंगे  कतारें फिर से आएगी।।   सभी  पे   वक्त  आता  है  बचा है कौन जीवन में ? ये दुनिया साथ में इक दिन हमारे फिर से आएगी।।   तमाशा   देखने  वालो  ज़रा  तुम …

कहने को नया साल है

कहने को नया साल है

कहने को नया साल है   कहने को नया साल है, मेरा तो वही हाल है। वही दिन महीने वही खाने-पीने वही मरना जीना जिंदगी का जहर पीना वही जी का जंजाल है .. कहने को नया साल है.. वही मन में सपने जो पूरे नहीं अपने जिसके लिए मन प्यासा हर साल नयी आशा…

अगर रिश्ता निभाना हो वफाएं काम आती है

अगर रिश्ता निभाना हो वफाएं काम आती है

अगर रिश्ता निभाना हो वफाएं काम आती है   अगर रिश्ता निभाना हो वफाएं काम आती है। नहीं जब साथ दे किस्मत दुआएं काम आती है।।   बहारें रूठ जाती है चमन से जब कभी यारो। खिलाने को गुलों को तब खिज़ाएं काम आती है।।   कहो कब नेक होती है सभी ईंसान की फितरत।…

America Me Yah Kya Ho Gaya

अमेरिका में यह क्या हो गया?

अमेरिका में यह क्या हो गया? *********   एक झटके में खो दिया प्रतिष्ठा पुरानी, याद करो सन् 1489 वाली लोकतंत्र की कहानी। जार्ज वाशिंगटन ने रखी थी जिसकी नींव, जड़ें जिसकी गहरी थीं अतीव। जनतंत्र का पोषक वह! नाम पर इसके, न जाने कितने देशों को डराया धमकाया; परिवर्तन सत्ता का कराया? कालचक्र में…

दिल हुआ दीवाना मेरा एक मुखड़ा देखकर

दिल हुआ दीवाना मेरा एक मुखड़ा देखकर

दिल हुआ दीवाना मेरा एक मुखड़ा देखकर     दिल हुआ दीवाना मेरा एक  मुखड़ा देखकर! राह में पहले न हुआ था दोस्त ऐसा देखकर   प्यार क़ा ऐसा नशा उसका चढ़ा मुझको मगर मैं गवा बैठा किसी को होश अपना देखकर   दिल मचले है उसका ही अपना बनाने को मेरा उस हंसी का…

इधर भी उधर भी

इधर भी उधर भी

इधर भी उधर भी ****** सब सम सा हो रहा है, लिए पताका कोई व्हाइट हाउस- तो कोई मस्जिद पर चढ़ रहा है। देता था जो दुनिया को जनतंत्र की दुहाई, चंद सिरफिरों ने उसकी करा दी जगहंसायी। देखो तो कैसे कैपिटल सिटी में? धमाके हो रहे हैं, मशालें लिए उस ऐतिहासिक इमारत पर- चढ़…

हर रहनुमा यहां झूठा निकला

हर रहनुमा यहां झूठा निकला

हर रहनुमा यहां झूठा निकला   हर रहनुमा यहां झूठा निकला! कोरा-कागज़ उसका वादा निकला!   सियासत की हर बिसात पे रक्खा, अवाम का ज़ख्म ताज़ा निकला!   रोए बहुत वो मैय्यत में आ -कर, उनकी गली से जनाज़ा निकला!   उलझा कर रंगी नारों में जनता को, मसीहा उड़न खटोले में बैठा निकला!  …

गया जो हाथ खाली था सिकंदर जानता होगा

गया जो हाथ खाली था सिकंदर जानता होगा

गया जो हाथ खाली था सिकंदर जानता होगा ( Gaya Jo Hath Khali Tha Sikandar Janta Hoga )   यहीं सब छौङ  के जाते बशर हर जानता होगा। गया जो हाथ खाली था सिकंदर जानता होगा।।   जुबां ही जब नहीं खोली समझते बात फिर कैसे। छुपे क्या राज़ सीने में वो खंजर जानता होगा।।…