समझें गर जो दोस्ती दुश्मनी नहीं होती

समझें गर जो दोस्ती दुश्मनी नहीं होती

समझें गर जो दोस्ती दुश्मनी नहीं होती ( Samajhen gar jo dosti dushmani nahi hoti )   समझें गर जो दोस्ती दुश्मनी नहीं होती! मुहब्बत  के ही बिना जिंदगी नहीं होती   करे  चुगली  हर  घड़ी जो सदा आपकी  ही उसको जीवन में  कभी फ़िर ख़ुशी नहीं होती   ख़िलाफ़ वो गर न होता अपना…

रोज़ रब से मैं यारों ख़ुशी मांगता हूँ

रोज़ रब से मैं यारों ख़ुशी मांगता हूँ | Ghazal

रोज़ रब से मैं यारों ख़ुशी मांगता हूँ ( Roz rab se main yaron khushi mangata hoon )     रोज़ रब से मैं यारों ख़ुशी मांगता हूँ! दूर हो दुख अच्छी जिंदगी मांगता हूँ   उम्रभर  साथ  मेरा  निभाये वफ़ा एक ऐसी  रब से दोस्ती मांगता हूँ   प्यार हो वावफ़ा से भरी हो…

जिंदगी में हिज्र की ऐसी रवानी हो गयी

जिंदगी में हिज्र की ऐसी रवानी हो गयी | Ghazal

जिंदगी में हिज्र की ऐसी रवानी हो गयी ( Zindagi mein hijr ki aisi rawani ho gayi )     जिंदगी  में  हिज्र  की  ऐसी  रवानी  हो   गयी अब लबों की ही मुहब्बत इक कहानी हो गयी   अब ख़िलाफ़ उसके सभी को होना होगा हाँ मगर यार उसकी अब बहुत देखो मनमानी  हो गयी…

हाँ खायी जीस्त में ठोकर बहुत है

हाँ खायी जीस्त में ठोकर बहुत है | Sad Shayari

हाँ खायी जीस्त में ठोकर बहुत है ( Haan khayi jeest mein thokar bahut hai )   हाँ खायी  जीस्त में ठोकर बहुत है जिग़र पे इसलिए  नश्तर बहुत है   मुहब्बत का अपनें ने कब दिया गुल नफ़रत के ही मारे पत्थर बहुत है !   किसी को प्यार क्या  देगे भला वो  मुहब्बत…

जिंदगी रोज़

जिंदगी रोज़ ग़म ने ही सतायी ख़ूब है | Ghazal

जिंदगी रोज़ ग़म ने ही सतायी ख़ूब है ( Zindagi roz gham ne hi satayi khoob hai )   जिंदगी  रोज़  ग़म  ने  ही  सतायी ख़ूब है! हाँ ख़ुशी के ही लिये बस आँखें रोयी ख़ूब है   प्यार के पत्थर मारे है नफ़रत वालों पे मैंनें नफ़रतों  की आज दीवारें गिरायी ख़ूब है  …

बहुत समझाया, बहुत मनाया

बहुत समझाया बहुत मनाया | Suneet Sood Grover Shayari

बहुत समझाया, बहुत मनाया ( Bahot Samjhaya Bahot Manaya )   बहुत समझाया, बहुत मनाया डराया भी ,धमकाया भी वक़्त की नज़ाकत समझो फासलों को नजदीकियां… पर वे तो ऐसे थे एक हुए बगावत के सुर बोल रहे एक एक करते थे जुट हुए धरने पर वो जैसे  बैठे हुए … अशआर कभी कोई नज़्म…

कभी अपनों ने ही समझा नहीं है

कभी अपनों ने ही समझा नहीं है | Udasi Bhari Shayari

कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ( Kabhi apno ne hi samjha nahin hai )   कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ! दिल उनसे इसलिए अब मिलता नहीं है   गली में इसलिए छाया अंधेरा कभी तक चाँद वो  निकला नहीं है   मुहब्बत की क्या होती गुफ़्तगू फ़िर कभी वो  पास…

कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो

कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो | Suneet Sood Grover Shayari

कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो ( Kadi kadi kar judi jo )   कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो जंजीर ,बेड़ियां हो गईं पांव जख्मी, हाथ रिसते … सोने का पिंजरा सा नशेमन तेरा जज्ब हुई यूं, कि दिल छलनी हुआ तू सय्याद, तेरा इश्क कातिल… सौ आसमां औ’ हवा खुली  दम भरने को अब खोल…

प्यार की कब बहार देखी है

प्यार की कब बहार देखी है | Ghazal

प्यार की कब बहार देखी है ( Pyar ki kab bahar dekhi hai )   प्यार की कब बहार देखी है ! नफ़रतों की  दयार देखी है   आ रही है यहां ग़म की बारिश कब ख़ुशी की फुवार देखी है   जो  आँखें थी भरी नज़ाकत से प्यार  में  बेक़रार  देखी  है   थी…

जब भी चाहेगा तू रूलायेगा

जब भी चाहेगा तू रूलायेगा | Ghazal

जब भी चाहेगा तू रूलायेगा ( Jab bhi chahega tu rulayega )   इससे ज्यादा भी क्या सतायेगा, जब  भी  चाहेगा  तू रुलायेगा।। शुकून हवा का इक झोंका है, अभी  आया  है चला जायेगा।। नज़र  मिलाके जरा बात करो, मामला तब समझ में आयेगा।। एक मुद्दत से मैं सोया ही नहीं अपनी बाहों में कब…