Tapna Hoga

तपना होगा

( Tapna hoga ) 

 

बेतहाशा भागती इस भीड़ मे
तुम्हारी विनम्रता की आवाज भी
कोई मायने नही रखती

ठीक है ,आपकी भावनाओं मैं
दया ,ममता ,करुणा सभी हैं
फिर भी ,किसी से घायल हुए पंछी को भी
आपमे सिद्धार्थ दिखाई नही देगा

आसान नहीं है
मानव के बीच मानव बनकर रहना
जहां सिर्फ चेहरे पर हों अनगिनत चेहरे
वहां ,हर चेहरे की पहचान भी
मुमकिन नहीं होती

सच है कि आपके भीतरी इंसान को
भगवान के दर्शन हुए हैं,किंतु
भगवान को भी तो
रावण और कंस से लोहा लेना पड़ा था
सत्य और धर्म के लिए

आग में तपे सोने की तरह ही
तुम्हे भी समाज मे तपना होगा
वरना जीवन की निरर्थकता के साथ
जिंदा रहना ही तुम्हारी
नियती होगी

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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