तेरा ये शबाब |Tera ye shabab | Ghazal
तेरा ये शबाब
( Tera ye shabab )
खिलता हुस्न का तू गुलाब है!
ग़जब का तेरा ये शबाब है
नशा क्यों न हो इश्क़ का मुझे
लब तेरे सनम जब शराब है
जिसे पढ़ना बाकी कभी जरा
तू वो शायरी की क़िताब है
उसे देखने को मचलता दिल
ढला न वो चेहरे से नकाब है
लिखा फूल भी चाँद भी उसे
न भेजा उसी ने ज़वाब है
भला मैं तारिफ और क्या करुं
वही चाँद जैसा ज़नाब है
तेरे प्यार का रोज़ आज़म को
नशा ही चढ़ा बेहिसाब है
❣️
शायर: आज़म नैय्यर
( सहारनपुर )
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