तोड़ न उल्फ़त का रिश्ता तू | Ghazal
तोड़ न उल्फ़त का रिश्ता तू
( Tod na ulfat ka rishta too )
तोड़ न उल्फ़त का रिश्ता तू
ग़ैर न कर मुझसे चेहरा तू
और नहीं आंखों में सूरत
ख्वाबों में है हर लम्हा तू
वरना चेहरे और यहां है
रोज़ नहीं कर यूं शिकवा तू
वरना कह दूंगा तुझसे कुछ
मत यूं रोज़ दिखा गुस्सा तू
सीरत से न मगर तू अच्छा
लगता सूरत से अच्छा तू
दूर गया तू जब से मुझसे
याद बहुत दिल को आता तू
पेश मुहब्बत से आ तू ही
मत के आज़म से झगड़ा तू