व्यवहार में सुधार जरूरी बा ! ( भोजपुरी भाषा में)
व्यवहार में सुधार जरूरी बा !
( भोजपुरी भाषा में)
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पहिर के हमरे झमकावेलू,
आ# हमरे के आंख देखावेलू।
कमरिया लचकावेलू,
अंखियां मटकावेलू।
रही रही धमकावेलू,
जान के महटियावेलू।
पुकरलो पर ना आवेलू,
सुन के अंठियावेलू।
घड़ी घड़ी दु चार बातो सुनावेलू,
बड़ा हमके सतावेलू।
हो शालू!
तू त# बाड़ू बड़का चालू?
झट दोसरा के कहला में आ जालू,
परिवार के इज्जत दांव पर लगावेलू।
आपन काम होखी त मीठ मीठ बतिअइबू,
काम होखला के बाद नजर ना अईबू;
कुछ कहला पर ताव देखईबू।
ए शालू!
तू त# बाड़ू बड़का चालू।
ई तोहार पुरान आदत बा#-
ए# में# सुधार क#र#,
आपन व्यवहार पर फेन से विचार क#र#!
ना त# जादे दिन ना चल पाई?
गृहस्थी के गाड़ी,
रास्ते में पंचर हो जाई-
गिर जाइ ओहपर के सवारी ।
परिवार में तालमेल ज़रूरी बा-
ऊंच नींच होला,
सबका कींहा होला;
बरदास्त भर चलेला।
लेकिन तू जादा क# दे# ताड़ू,
अइसन ठीक ना होखे मेहरारू।
लड़िको पर बुरा प्रभाव पड़ेला!
जवन देखेला , बाद में ऊहे करे#ला।
लड़िकन खातिर सब सहाता,
कुछु नाहीं कहाता।
सहल मजबूरी बा,
जरूरी बा।
लेकिन मजबूरी में कवनो काम ना करे#के-
उ# ठीक ना हो#ला,
बार बार मन में,ग़लत बात आवे#ला।
बनल बनावल परिवार बिखरेला,
लड़िकन के भविष्य बिगड़ेला;
माई बाप से बिछड़ेला।
मुकदमा होला,
डिवोर्स होला;
जेकरा के कोई अच्छा ना कहे#ला।
कोशिश क#र# मिलजुल के रहीं,
कुछ तू कुछ हम सहीं।
ए#ही# में सबका भलाई बा,
व्यवहार में सुधार ,जरूरी बा।
ना त# चारुओरी होइ जगहंसाई,
लोग देख देख मुस्कराई।
सबकुछ चौपट हो जाई,
बिछड़ला/बिगड़ला के बाद बहुत बुझाई।
त#ले बहुत देर हो जाई,
पछतइलो पर उ# दिन लौट के ना आई।
लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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