यादें | Kavita
यादें
( Yaaden )
बड़ी सुहानी लगती यादें, प्रेम भरी मनभावन सी।
उर उमंग हिलोरे लेती, झड़ी बरसते सावन सी।
सुख-दुख के मेंघ मंडराये, यादें बस रह जाती है।
घड़ी घड़ी पल पल रहकर, यादें पुरानी आती है।
हंसी खुशी के सुंदर पल, रह रहकर याद आते हैं।
जैसे बहती सरिता धारा, किनारे रह जाते हैं।
गांव की जब याद आए, सुकून देती ठंडी बहार।
मन मयूर नाच उठता, उर उमड़ता हर्ष अपार।
निर्भय रह स्वछंद घूमना, जोश नया जगा देती।
पाठशाला की यादें भी, बचपन की सैर करा देती।
उल्लास खुशी घट उमड़े, जीवन राह दिखाती है।
यादें बने ज्योति जीने की, उन्नति पथ बतलाती है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )