यही जग की हकीक़त है यही जग का फ़साना है
यही जग की हकीक़त है यही जग का फ़साना है
यही जग की हकीक़त है यही जग का फ़साना है।
जिसे हम प्यार करते हैं उसे दिल तोङ जाना है।।
करे बदनाम पीछे से भला जो सामने कहते।
बहुत पाखंड दुनिया में बङा ज़ालिम ज़माना है।।
करो एतबार कितना भी किसी पे तुम यहां यारो।
उठाके फायदा तेरा दिलों को तोङ जाना है।।
भला होता नहीं बेशक बुरा करते किसी का कब।
यहां मुस्कान हर लब पे सदा हमको सजाना है।।
खुशी से याद करते हैं हमें भी याद करता जो।
नहीं जो दिल को भाता हो उसे दिल से भुलाना है।।
चमन बर्बाद हो जाता बहारें ग़र नहीं आती।
कोई परवाह कब हम को खिज़ा में गुल खिलाना है।।
नहीं परहेज काँटों से गुलों से दोस्ती अपनी।
कहां नफ़रत किसी से भी हमें सबसे निभाना है।।
न रख उम्मीद दुनिया से न कर फरियाद ही कोई।
भरोसा रख खुदा पे ही सदा ग़र मुस्कुराना है।।
सभी पढ़ के ग़ज़ल मेरी रहे सदके दुआ रब से।
हमेशा कौन जीता है निशानी छौङ जाना है।।
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कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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