यही जीवन है

Hindi Poetry On Life | Hindi Ghazal -यही जीवन है!

यही जीवन है!

( Yahi Jeevan Hai )

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जीवन पथ में
कभी कभी कुछ ऐसा होता है
रोम रोम क्षण में पुलकित होता है।
धूम धड़ाका पार्टी शार्टी
गाजे बाजे संग बाराती
प्रीतिभोज की होती तैयारी
अधरो पर मुस्कान बिखर जाती
चहुंओर खुशियां ही खुशियां नजर है आती।
तो कभी एक पल में
कर देता बदहवास, निराश
पांव तले की जमीं खिसक जाती
बिछड़ जाते हैं जब अपने
ठिठक जाते हैं सब सपने
उम्मीद की किरण कोई नजर नहीं आती
नयन आंसुओं से भर जाती
लहू उतर आता है
जब घनघोर निराशा छाता है
फिर भी जीवन चलता जाता है।
शनै: शनै: पटरी पर आता है,
सब भूलकर मानव-
नवीन उद्देश्यों में खो जाता है।
थक हार घर वापस आता है,
तानकर चादर सो जाता है।
नवल किरण के साथ पुनः
कर्त्तव्यपथ पर बढ़ जाता है।
यही जीवन है…
यही जीवन है।

 

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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