Kavita | ये क्या हो रहा है
ये क्या हो रहा है
( Ye Kya Ho Raha Hai )
घर से बाहर निकल कर देखिए-
मुल्क़ में ये क्या हो रहा है,
सबका पेट भरने वाला आजकल
सड़कों पर भूखे पेट सो रहा है ।
मुल्क़ में ये…
खेतों की ख़ामोशियों में काट दी
जिसने अपनी उम्र सारी,
बुढ़ापे के आख़िरी दिनों में
वह शहर का शोर हो रहा है ।
मुल्क़ में ये…
संसद के सब फ़ैसलें अब
सरमायदारों के हक़ में होने लगे हैं,
मुल्क़ का हरेक आदमी
अपने अच्छे दिनों पे रो रहा है ।
मुल्क़ में ये…
अपने ही वीर जवान दूसरी ओर
बंदूक तान कर खड़े हैं;
हुक्मराँ के हुक़्म से भाई ही
भाई के ख़ून से हाथ धो रहा है ।
मुल्क़ में ये…
हक़ माँगने वाले देशद्रोही हैं,
आवाज़ उठाने वाले गुनेहागार;
सियासतदानों के चक्कर में हरकोई
अपना अलग ही राष्ट्रवाद ढो रहा है ।
मुल्क़ में ये….
कोई कुछ भी कहे, अब तो
अपना हक़ लेकर ही वापिस लौटेंगे;
उनकी नज़र इसे बग़ावत मानती
हम कहते-ये इंक़लाब हो रहा है ।
मुल्क़ में ये….
इतने मज़लूमों का ख़ून देखकर भी
नहीं पसीजता उनका दिल ;
वो ख़ुदा या भगवान तो नहीं
फिर इतना पत्थर दिल क्यो हो रहा है ?
मुल्क़ में ये…
ये मसला सिर्फ़ किसानों का है-
यह सोचकर अपने घर ना बैठे;
कल आपके साथ भी यही होगा
आज जो इनके साथ हो रहा है ।
मुल्क़ में ये…
अपने भीतर बसे ‘दीप को
मशाल बना लो मेरे वतन वालों;
देश में ज़ुल्मों-ज़्यादतियों का अंधेरा
और ज़्यादा घना हो रहा है ।
मुल्क़ में ये …
घर से बाहर निकल कर देखिए-
मुल्क़ में ये क्या हो रहा है;
सबका पेट भरने वाला आजकल
सड़कों पर भूखे पेट सो रहा है ।