![jindagi ज़िन्दगी का कोई बसेरा](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2020/07/jindagi-1-696x348.jpg)
ज़िन्दगी का कोई बसेरा
( Zindagi ka koi basera )
ज़िन्दगी का कोई बसेरा ढून्ढ रहा हूँ
में तो बस ज़ीस्त का एक इशारा ढून्ढ रहा हूँ
एक सुर्खियों में बंधा हुआ
शाम का तरन्नुम समाये सवेरा ढून्ढ रहा हूँ
उजालो से अब दिल उक्ता गया है
में दिन में चाँद, सितारा ढून्ढ रहा हूँ
ये हयात नहीं आसान इतना
इसका कोई गुज़ारा ढून्ढ रहा हूँ
दीवाने ‘अनंत’ कहाँ है इस सफर में
वाइज़ो से कुछ मशवरा ढून्ढ रहा हूँ
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शायर: स्वामी ध्यान अनंता
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