Guru Nanak par kavita
Guru Nanak par kavita

श्री गुरु नानक देव जी

( Shri Guru Nanak Dev Ji ) 

 

प्रथम गुरुवर आप है गुरु नानक सिख समुदाय,
सभी की ज़ुबान पर आपका नाम पहला आय।
वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह,
बिना गुरु के मंजिल तक कोई पहुॅंच नही पाय।।

 

कल्याणचन्द पिता थें जिनके व तृप्ता थी माता,
१४६९ जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को यें आता।
एक किसान घर जन्म लिया आप दिव्य आत्मा,
तलवंडी स्थान वह आज ननकाना कहा जाता।।

 

कुरीतियों पर प्रहार किया एवं नारी का सम्मान,
ऐसे महापुरुष आप हुऐ किये जग-प्रकाशवान।
प्रकाश पर्व के रूप में हम सब मनातें जन्मदिन,
दिन दुखियों की सेवा किए एवं साफ़ रखें मन।।

 

ईश्वर एक है और सर्वदा एक की उपासना करों,
संपूर्ण जगत में है वही जीव प्राणी में मौजूद है।
मेहनत ईमानदारी से कमाएं एवं लालची न बनें,
स्त्री पुरूष बराबर है ऐसे कई इनके सिद्धांत है।।

 

घूम-घूमकर गुरुदेव जी हमें उपदेश दिये पावन,
प्रेम ज्ञान व वीरता से भरा रहा आपका जीवन।
यें सारा जगत है झूठा एवं सत्य केवल है ईश्वर,
२२ सितंबर १५३९ को त्याग दिया गुरु जीवन।।

 

रचनाकार :गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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