हृदय की पीर लेखनी | Lekhni par kavita
हृदय की पीर लेखनी
( Hrdaya ki peer lekhni )
जब हृदय की पीर कागज पे भावों से बहकर आती है
कलम की धार बने कविता दिल को बहुत लुभाती है
ओज प्रेम करुणा बरसती शब्द सुरीले प्यारे-प्यारे
कुदरत करे श्रंगार अगणित कलम के बहते धारे
देशभक्ति राष्ट्रप्रेम की अलख जगाती रही कलम
भटके को राह दिखाएं सत्ता संभाले रही कलम
कवि हृदय की कल्पना कागज पे उतर आती है
झूम उठते श्रोता सारे हर पाठक मन हर्षाती है
भक्ति भाव में बहती कविता रसधारा बरसाती है
महा समर में ओज भर वीरों में जोश जगाती है
दिखा आईना दुनिया को करती रही सचेत सदा
प्रीत भरे तराने प्यारे मंचों पर महकती रही सदा
नवरस गीत गजल छंदों में दोहा चौपाई बनकर छाई
शब्द शब्द बन मोती बरसे लहर खुशी की तब आई
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )