सुसंस्कार | Susanskar
सुसंस्कार
( Susanskar )
सुसंस्कारों की सुगंधि से, जीवन उपवन महकता रहे
शिक्षा ज्ञान सहज अवबोध ,
प्रयोग व्यवहार धरातल ।
निर्माण आदर्श चरित्र,
भविष्य सदा उज्ज्वल ।
आत्मसात कर नूतनता,
पुरात्तन भाव चहकता रहे ।
सुसंस्कारों की सुगंधि से, जीवन उपवन महकता रहे ।।
मान सम्मान मर्यादा ज्योत,
अपनत्व अप्रतिम प्रसरण ।
तन मन आरोग्य विहार,
अपार उमंग संचरण ।
मृदुल विमल स्नेहिल स्वर,
पाषाण उर पिघलता रहे ।
सुसंस्कारों की सुगंधि से,जीवन उपवन महकता रहे ।।
चिंतन मनन सोच विचार,
सकारात्मकता नित श्रृंगार ।
अविचलक संघर्ष पथ पर,
बन प्रेरक ओजस्वी उद्गार ।
समता समानता अनूप चित्र,
राष्ट्र धरा रूप चमकता रहे ।
सुसंस्कारों की सुगंधि से,जीवन उपवन महकता रहे ।।
निर्वहन सामाजिक सरोकार,
हिय वास निज संस्कृति ।
तिलांजलि संकीर्ण दृष्टिकोण,
वंदित समग्र विकास आकृति ।
मात पिता वरिष्ठ वृंद सेवा धर्म ,
प्रेरणा पुंज बन दहकता रहे ।
सुसंस्कारों की सुगंधि से,जीवन उपवन महकता रहे ।।
नवलगढ़ (राजस्थान)