अनोखा आंदोलन!
अनोखा आंदोलन!
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कृषि कानूनों के खिलाफ अन्नदाता आंदोलनरत हैं,
भीषण सर्दी में ही-
दिल्ली बार्डर पर दिए दस्तक हैं।
भीड़ बढ़ती जा रही है!
ठसाठस सड़कों पर डटे हैं,
सरकारी दमनचक्र के बावजूद-
टस से मस नहीं हो रहे हैं।
तू डाल डाल, मैं पात पात की नीति पर
चल रहे हैं,
शासन की हर साजिश को विफल कर रहे हैं!
आइटी सेल की साजिशों से लड़ने को
खुद का सेल बना डाला,
ट्रोल करने वालों को ट्रोल से ही समझा डाला।
गोदी मीडिया का जवाब ‘ट्राली टाइम्स’ से दे रहे हैं,
अपनी बात इस अखबार के माध्यम से सीधे जनता तक पहुंचा रहे हैं।
नि:शुल्क वितरण कर इसका सर्कुलेशन बढ़ा रहे हैं,
साथियों के बीच आपसी समझ और विश्वास बढ़ा पा रहे हैं।
कुछ उन्हें खालिस्तानी और विरोधियों के एजेंट बता रहे हैं,
लेकिन दिन ब दिन सेलिब्रिटीज़,
आंदोलनरत किसानों के बीच आ ऐसे दावों को झुठला रहे हैं;
साथ ही उनका हौसला भी बढ़ा रहे हैं।
किसान भी अपनी देश भक्ति कुछ यूं दिखा रहे हैं,
सरहद पर शहीद बेटे की तस्वीर जनता को दिखा रहे हैं।
वो मुट्ठीभर लोगों की खातिर-
करोड़ों किसानों को चोट पहुंचा रहे हैं,
इस भीषण सर्दी में उनके सीने पर जलतोप चला रहे हैं।
बहादुर किसान बहादुर जवानों की भांति साहस हिम्मत दिखा रहे हैं,
सर्दी में भी सरकारों के पसीने छुड़ा रहे हैं?
किसानों के हौसलों के आगे साहब भी अब शरमा रहे हैं!
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लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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