घायल खेतों की तस्वीर दिखाने आया हूँ

घायल खेतों की तस्वीर दिखाने आया हूँ | Kavita

घायल खेतों की तस्वीर दिखाने आया हूँ ( Ghayal kheton ki tasweer dikhane aya hoon )     घायल जख्मी खेतों की तस्वीर दिखाने आया हूँ। बहते हुवे अश्कों के अंश अपने संग भी लाया हूँ।। मैने अपनी आंखों से खुद इनको रोते देखा है। प्रकृति के प्रारहों से घायल होते देखा है।। ओले रुपी…

मुहूर्त

मुहूर्त | Muhurat par kavita

 मुहूर्त  ( Muhurat )   क्यों भागे मनवा व्यर्थ मुहूर्त के पीछे || 1.न जन्म मुहूर्त से हुआ, न मृत्यू होगी किसी मुहूर्त मे | फिर क्यो सारी जिन्दगी घूमें, शुभ मुहूर्त के चक्कर मे | क्या शुभ है क्या अशुभ, सब आधीन है प्रकृति सूत्र मे | फिर क्यों सारी जिन्दगी ढूंडे, खट्टापन मीठी…

चौखट में कोई आए तो

चौखट में कोई आए तो | Chaukhat mein koi aaye to | Ghazal

चौखट में कोई आए तो ( Chaukhat mein koi aaye to )     चौखट में कोई आए तो लगता है की तुम हो धीमे से गले कोई लगाए तो लगता है की तुम हो   मेरी सांसें भी अब तो कुछ कुछ खफा है मुझसे जब भी यह मुझे मनाए तो लगता है की…

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत | Dard-e-muhabbat | Ghazal

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत ( Dil kee dard-e-muhabbat )   ❣️ दिल की दर्द-ए-मुहब्बत कहूं तो किस से कहूं क्या है हमारी ख्याल-ए-वहसत कहूं तो किस से कहूं ❣️ नीला दीखता है पानी, गहराई उतना है नहीं दरिया का यही हालात जेहन का, ये बिसात कहूं तो किस से कहूं ❣️ लम्बी कहानी का छोटा सा…

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में | Ghazal kuch khataayen

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में ( Kuch khataayen hai aks e rukhsaar mein )   कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में हम बिगड़ चुके है निगाह-ए-यार में   चस्म-ए-क़ातिल से हमे भला कौन बचाये अब इस पयाम के मलाल-ए-यार में   खूब हो तुम भी के नाराज़ हो हमसे और हम पे ही ऐब है ऐतवार…

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे | Ghazal kis andaaz se

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे ( Kis andaaz se mukhtaliph the tum humse )   राह भटक ही जाए साहिल ऐसी तो ना थी ढूंढ़ने से ना मिले मंजिल ऐसी तो ना थी   किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे पेहले तुम भी कामिल ऐसी तो ना थी   उदासी है कैसे…

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है | Zulamt se ye rooh dar raha hai | Ghazal

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ( Zulamt se ye rooh dar raha hai )   ❄️ ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ख्वाब मेरे शौक़ से उतर रहा है ❄️ वही नदिना जी रहा है मुझमें जो मुझे हर रोज मार रहा है ❄️ नचाहते हुए तुझे मैंने चाहा है मेरी चाहत…

सूरज के क़ज़ा होते ही

सूरज के क़ज़ा होते ही | Suraj ke qaza hote hi | Ghazal

सूरज के क़ज़ा होते ही ( Suraj ke qaza hote hi )   सूरज के क़ज़ा होते ही चाँद जगमगा उठा होगा मगर हर घर, हर सेहर सो चूका होगा   में थक चूका हूँ इस आबरू के सिलसिले से ये मेरी बेबसी है की यहाँ एक और हादसा होगा   ज़रा देख हर आँखों…

सैनिक

सैनिक | Sainik kavita

सैनिक  ( Sainik )    वो सैनिक है, वो रक्षक है || 1.न हिन्दू है न मुस्लिम है, वो केवल मानव राशी हैं | न दिन देखें न रात पता हो, वो सच्चे भारतबासी हैं | चाहे गर्मी हो या बर्फ जमे, अपना कर्तव्य निभाते हैं | खुद जान गंवा कर सीमा पर, हिन्दुस्तान बचाते…

ज़िन्दगी का कोई बसेरा

ज़िन्दगी का कोई बसेरा | Zindagi ka koi basera | Ghazal

ज़िन्दगी का कोई बसेरा ( Zindagi ka koi basera )   ज़िन्दगी का कोई बसेरा ढून्ढ रहा हूँ में तो बस ज़ीस्त का एक इशारा ढून्ढ रहा हूँ   एक सुर्खियों में बंधा हुआ शाम का तरन्नुम समाये सवेरा ढून्ढ रहा हूँ   उजालो से अब दिल उक्ता गया है में दिन में चाँद, सितारा…