भारत की बेटी ” हिंदी ” हमारी
भारत की बेटी ” हिंदी ” हमारी
साहित्य की फुलवारी l
लगती सबसे न्यारी ll
डंका बजा कोने – कोने में l
एक ही आवाज गूँजी हर मन में ll
प्रतिष्ठा की है , अधिकारी l
हिंदुस्तान की है , बोली प्यारी ll
बोलो कश्मीर से कन्याकुमारी l
बने राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी ll
संस्कृत से जन्मी हिंदी हमारी l
संस्कार से अलंकृत हिंदी हमारी ll
सभ्य, रोढ़ी – परंपरा सभी वेश है l
आदि से ही हिंदी हमारा अंश है ll
देश की विशेष पहली भाषा l
विश्व की विशेष चौथी भाषा ll
बोलो कश्मीर से कन्याकुमारी l
बने राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी ll
यह घर की दुलारी l
धरोहर है हमारी ll
इसमे बसे हमारे l
अचार – विचार न्यारे ll
सहज मान सम्मान है l
वाणी का शुभ वरदान है ll
बोलो कश्मीर से कन्याकुमारी l
बने राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी ll
तुलसी , रहीम , बिहारी के दोहे l
सूर , मीरा , आलम के पद ll
प्रेमचंद , यशपाल , अज्ञय ,
महावीर , मैथिली ,दिनकर ,
प्रसाद ,महादेवी, त्रिपाठी ,
सभी ने समय की रचना से l
पाला – पोसा हिंदी को सुविचार से ll
बोलो कश्मीर से कन्याकुमारी l
बने राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी ll
पंत , बच्चन , अटल के गीत है l
भारतेन्दु , प्रेमचंद के सर्वमान्यत है l
चीन,जपान ने राष्ट्रभाषा से विश्व जीता
हम भी पहचान हिंद से बने विजेता ll
गणित , विज्ञान से चिंतित है l
लेकिन हिंदी से शरमाते है ll
बोलो कश्मीर से कन्याकुमारी l
बने राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी ll
चंद्र के दक्षिण को इसरो ने स्वीकारा l
राष्ट्र के दक्षिण ने हिंदी को इनकारा ll
तरक्की तो हिंदी ने भी की है l
परन्तु अन्य भाषा पर जहर न की है ll
मुश्किल नहीं हिंदी जन भाषा बने l
कैसे रियासत पर सियासत बने ll
बोलो कश्मीर से कन्याकुमारी l
बने राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी ll
वाहिद खान पेंडारी
( हिंदी : प्राध्यापक )
Tungal School of Basic & Applied Sciences , Jamkhandi
Karnataka
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जय हिंद ।