हम में खोकर रहो तो हम जाने | Ham Jane
हम में खोकर रहो तो हम जाने ( Ham mein khokar raho to ham jane ) ऐसी होकर रहो तो हम जाने हम में खोकर रहो तो हम जाने साथ देने का है इरादा गर खाके ठोकर रहो तो हम जाने मन की कोई कहाँ है कर पाता करना जो कर रहो तो हम…
हम में खोकर रहो तो हम जाने ( Ham mein khokar raho to ham jane ) ऐसी होकर रहो तो हम जाने हम में खोकर रहो तो हम जाने साथ देने का है इरादा गर खाके ठोकर रहो तो हम जाने मन की कोई कहाँ है कर पाता करना जो कर रहो तो हम…
प्यार की पहल ( Pyar ki pahal ) आसमां में खिला कँवल कहिए चाँद पर आप इक ग़ज़ल कहिए जो बढ़ा दे फ़िजा मुहब्बत की प्रेयसी के नयन सजल कहिए बाँध दे जो नज़र से धड़कन को प्यार की आप वो पहल कहिए बो दिया नब्ज़ मे दर्द-ए-कसक प्रेम की बढ़ गई फसल कहिए…
बारिश ( Baarish ) आई है सौ रंग सजाती और मचलती ये बारिश रिमझिम रिमझिम बूंदों से सांसों में ढलती ये बारिश। दर्द हमेशा सहकर दिल पत्थर के जैसे सख़्त हुआ सुन कर दर्द हमारा लगता आज पिघलती ये बारिश। याद हमें जब आते हैं वो उस दिन ऐसा होता है पांव दबाकर नैनो…
मंदिर मस्जिद ( Mandir Masjid ) करना क्या है ? मंदिर मस्जिद और खाना है ! मंदिर मस्जिद भर रक्खी है नफ़रत दिल में कर रक्खा है मंदिर मस्जिद खूब लड़े हैं भाई भाई मुद्दा क्या है ? मंदिर मस्जिद आपका बेटा पढ़ा लिखा है क्या करता है ? मंदिर मस्जिद ख्वाहिश जो पूछो…
मैं दिल से ख़ूबसूरत हूँ ( Main dil se khoobsurat hoon ) मैं अपने आप में जो आज इक ज़मानत हूँ किसी की नेक इनायत की ही बदौलत हूँ जो मुझको छोड़ गया था मेरे भरोसे पर मैं आज तक ही उसी शख़्स की अमानत हूँ ज़माना शौक से पढ़ने लगा है यूँ मुझको…
प्यार की दिल में कसक रही ( Pyar ki dil mein kasak rahi ) कान में चूड़ी की खनक रही प्यार की दिल में कसक रही सांस में महक प्यार से उठी आज वो गुलों में लचक रही वो नहीं आये है सनम मिलने राह उसी की अब तलक रही इश्क़ में गिरफ़्तार दिल…
जज़्बात से ( Jazbaat se ) ज़िंदगी चलती नहीं है आज़कल जज़्बात से जूझना पड़ता सभी को रात दिन हालात से। गीत ग़ज़लें और नज़्में भूल जाता आदमी ज़िंदगी जब रूबरू होती है अख़राजात से। क्यूं चलाते गोलियां क्यूं लड़ रहे सब इस क़दर रंजिशों के मामले अक्सर हुए हल बात से। अब के…
बदलते हैं ( Badalte hain ) बदलती शाम सुबहें और मौसम भी बदलते हैं बुरे हालात हों तो दोस्त हमदम भी बदलते हैं। लगाता ज़ख़्म वो हर बार हंस हंस के मुझे यारों नयी हर चोट पर हर बार मरहम भी बदलते हैं। कभी थी सल्तनत जिनकी वो पसमंजर में हैं बैठे बड़ी हैरत…
कैसे हो दीदार सनम का ( Kaise ho deedar sanam ka ) कैसे हो दीदार सनम का पर्दे में जब प्यार सनम का रुत मस्तानी हो और यूं हो बाहें डालें हार सनम का दिल दीवाना बन जाता है ऐसा है मेआर सनम का मीठा दर्द जगाये दिल मे तीर लगे जब पार सनम…
लगी कुछ देर ( Lagi kuch der ) लगी कुछ देर उनको जानने में हां मगर जाना हमारे प्यार का होने लगा है कुछ असर जाना। कभी वो हंस दिये रहमत ख़ुदा की हो गई हम पर हुए नाराज़ तो उसको इलाही का कहर जाना। हुए ग़ाफ़िल मुहब्बत में भुला दी जात भी अपनी…