करगिल जंग | Kavita Kargil Jung

करगिल जंग | Kavita Kargil Jung

करगिल जंग ( Kargil Jung ) युद्ध के उस रंग में, दुश्मन के साथ जंग में, बहादुरी दिखा रहे थे हमारे रणबाँकुरे। टाइगर हिल हो या हो द्रास की वो पहाड़ियों, फिर से उसको हासिल कर रहे थे रणबाँकुरे। एटम-बम को जो गहना पहनाकर वो बैठे हैं, अधोपतन का उत्तर वो दे रहे थे रणबाँकुरे।…

Kargil Jung

कारगिल शौर्य गाथा | Kargil Shaurya Gatha

कारगिल शौर्य गाथा ( Kargil Shaurya Gatha ) 1999 का वह काला दिन, हमला पाक ने कर, लहू -लुहान कारगिल भू किया। लेह लद्दाख के “द्रास”क्षेत्र में, मचा दिया हाहाकार भयंकर।। 18 हजार फीट ऊॅंचाई पर, छिड़ा महा भयंकर युद्ध। विपरीत हालात मौसम के थे। फिर भी लड़े ,वीर हमारे जी जान से। । ”…

शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry

शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry

धान की फसल खेतों में धान लहलहाया हैकृषक का मन हर्षाया है।जी जान से की थी मेहनत।उसका ही ये फल पाया है। हवाएं सुगंधित होने लगी हैं।धान की खुशबू में डुबोने लगी हैंफिजाएं मचल उठी हैं लहराकर।खेत खलिहान की मुंडेर पर आकर। श्वेत मोतियों से धान के दाने।निकले हैं किसान का मन लुभाने।सज संवर कर…

आखरी सत्य

आखरी सत्य | Kavita Aakhri Satya

आखरी सत्य ( Aakhri Satya ) बहुत दिनों से मेरी फड़क रही थी आँखे। कोई शुभ संदेश अब शायद मिलने वाला है। फिर एकका एक तुम्हें आज यहाँ पर देखकर। दिल अचंभित हो उठा तुम्हें सामने देखकर।। बहुतों को रुलाया हैं जवानी के दिनों में। कुछ तो अभी जिंदा है तेरे नाम को जपकर। भले…

रैग पिकर और फैशनपुतला | Kavita Ragpicker

रैग पिकर और फैशनपुतला | Kavita Ragpicker

रैग पिकर और फैशनपुतला पहने हो अति सुंदर कपड़े, पुतले बन कर खड़े हुए । फैशन की इस चकाचौंध में, भरमाने पर अड़े हुए ।। मैंने कचरे से बीना है, बोरा परिधान देख लो । मैं नंगा भी तुमसे सुंदर, ध्यान लगा मुझे देख लो।। तुम में मुझमें फर्क यही तुम, प्राणहीन मैं जीवित नर…

मुकेश बिस्सा की कविताएं

मुकेश बिस्सा की कविताएं | Mukesh Bissa Hindi Poetry

कुछ नहीं कहते कुछ नहीं कहते, मगर आँखें बयां कर जाती हैं,हर ख़ामोशी में कई बातें छुपा जाती हैं। लब खामोश हैं, पर दिल की आवाज़ सुनो,कुछ हकीकतें, बस निगाहों से सजा जाती हैं। मुस्कुराहटें चुपके से छलक पड़ती हैं,ग़म की बारिशें दिल में दबा जाती हैं। चाहत है, इज़हार करें या ना करें,ये आँखें…

मतलबी | Kavita Matlabi

मतलबी | Kavita Matlabi

मतलबी ( Matlabi ) मतलबी म+तलबी मत+लबी मतल+बी म त ल बी । म=मैं त=तुम ल=लगन बी=बीतना अर्थात मेरा या तुम्हारा किसी लगन में बीत जाना खरच हो जाना क्या ग़लत है किसी का मतलबी हो जाना।। डॉ. जगदीप शर्मा राही नरवाणा, हरियाणा। यह भी पढ़ें :- गुरु ज्ञान की ज्योत | Guru Gyan ki…

ख़ुद पर विश्वास क्यों नहीं करते

ख़ुद पर विश्वास क्यों नहीं करते | Kavita Khud Par

ख़ुद पर विश्वास क्यों नहीं करते ( Khud par vishwas kyon nahi karte ) ख़ुद पर विश्वास, क्यों नहीं करते? जो करना है, आज क्यों नहीं करते ? छूना चाहते हो आकाश यदि, तो फिर तुम,प्रयास क्यों नहीं करते ? कुछ भी नहीं , इस जग में असंभव। इस बात पर, विश्वास क्यों नहीं करते…

जीवन एक यात्रा | Kavita Jeevan ek Yatra

जीवन एक यात्रा | Kavita Jeevan ek Yatra

जीवन एक यात्रा ( Jeevan ek yatra )  जीवन एक यात्रा है, सपनों का साज है, खुशियों की बगिया है, दुखों का भी राज है। उजालों की मस्तियाँ हैं, अंधेरों का ख्याल है, कभी-कभी कांटों की चुभन, कभी फूलों की माल है। राहें हैं कठिनाइयों की, संघर्ष का मैदान है, हिम्मत से जो चले यहाँ,…

मन का सावन

मन का सावन | छंदमुक्त गीत

मन का सावन ( Man ka Sawan ) कोकिला, पपीहा के मधुर बोल, बारिश की रिमझिम, हरियाली चहुँओर। साजन की याद सताये, रह-रहकर, आया सावन माह देखों झूमकर–2 झूले पड़ गये, डाली-डाली बम-बम बोले, हर गली-गली–2 कजरी की धुन,लगे मनभावन–2 बहुत सताता है ये, मन का सावन –2 मादकता में ,अवगाहन धरती, वर्षा का रस…