हाल पूछो न यार होली का

हाल पूछो न यार होली का | Happy Holi shayari

हाल पूछो न यार होली का ( Haal Pucho Na Yar Holi Ka )   हाल  पूछो न यार होली का। दिल में मेरे गुबार होली का।।   इस कदर दूर वो हुए हम से। जश्न फीका हज़ार होली का।।   ग़र नहीं प्यार रँग सभी फीके। छाया हर सू ख़ुमार होली का।।   संग…

जल ही जीवन

Jal par kavita | जल ही जीवन

जल ही जीवन ( Jal Hi Jeevan Hai )   बूॅ॑द -बूॅ॑द  से  घड़ा  भरे, कहें  पूर्वज  लोग, पानी को न व्यर्थ करें, काहे न समझे लोग।   जल जीवन का आधार है,बात लो इतनी मान। एक  चौथाई  जल  शरीर,  तभी थमी है जान।   जल का दुरुपयोग कर, क्यों करते नुकसान। जल  से  है …

Ek Maa Ki Bebasi

एक मां की बेबसी | Kavita

एक मां की बेबसी ( Ek Maa Ki Bebasi ) विकल्प नहीं है कोई देखो विमला कितना रोई सुबककर दुबककर देख न ले कोई सुन न ले कोई उसकी पीड़ा अनंत है समाज बना साधु संत है जानकर समझकर भी सब शांत हैं किया कुकृत्य है शोहदों ने जिनके बाप बैठे बड़े ओहदों पे सुधि…

रंग

kavita | रंग | Rango Par Kavita in Hindi

रंग ( Rang )   नयनों से ही रग डाला है, उसने मुझकों लाल। ना  जाने  इस होली में, क्या होगा मेरा हाल।   पिचकारी में रंग भर उसने, रग दी चुनर आज, केसरिया बालम आजा तू,रग कर मुखडा लाल।   धानी  चुनरी  पीली चोली, लंहगे का रंग गुलाब। नयन गुलाबी चाल शराबी, मुखडें से…

होली रंगों का त्योहार

Rango par kavita in Hindi || होली रंगों का त्योहार | Kavita in Hindi

होली रंगों का त्योहार ( Holi Rangon Ka Tyohar )   होली रंगों का त्योहार लाये मन में उमंग बहार, नाचो गाओ मिल के सब। रंग-बिरंगे गुलाल उड़ाओ पुआ पकवान खाओ खिलाओ, प्रेम सौहार्द के संग मिल के सब। प्रकृत रूप-लावण्य निखरे नाना पुष्पों के सुगंध बिखरे, भौरें गावत गीत मल्हार मिल के सब। मदन…

प्रेम की होली

Prem ki Holi | कविता प्रेम की होली

प्रेम की होली ( Prem Ki Holi )   खेलेंगे हम प्रेम की होली। अरमानों की भरेगी झोली। खुशियों की बारात सजेगी, बिगड़ी सारी बात बनेगी। नोंक-झोंक कुछ हल्की-फुल्की, होगी हॅंसी-ठिठोली। खेलेंगे हम प्रेम की होली।   महुए की मदमाती गंध, फूलों की खुशबू के संग। आया है दुल्हा ऋतुराज, चढ़कर फाग की डोली। खेलेंगे…

होली

फागुन के दिन | Holi Poem in Hindi

 फागुन के दिन ( Phagun ke din )   फागुन  के  दिन थोडे रह गए, मन में उडे उमंग। काम काज में मन नाहि लागे,चढा श्याम दा रंग।   रंग  बसन्ती  ढंग बसन्ती, तोरा अंग  बसन्ती  लागे, ढुलमुल ढुलमुल चाल चले,तोरा संग बसन्ती लागे।   नयन से नयन मिला लो हमसें, बिना पलक झपकाए। जिसका पहले पलक…

भूख

भूख | Safalta ki Bhookh par Kavita

भूख ( Bhookh )   चाहे हो दु:ख लाख पालो भूख आप बढ़ने की पढ़ने की आसमां छूने की। भूख बड़ी चीज़ है! भूख ही नाचीज़ को चीज बनाती है वरना यह दुनिया बहुत सताती है बहुत रूलाती है सच को भी झुठलाती है। अधिकारों से भी रखती हमें वंचित मस्तिष्क इनका बहुत ही है…

हमारी बेवकूफियां

हमारी बेवकूफियां | Kavita

हमारी बेवकूफियां ( Hamari Bewakoofiyaan )   सचमुच कितने मूर्ख हैं हम बन बेवकूफ हंसते हैं हम झांसा में झट आ जाते हैं नुकसान खुद का ही पहुंचाते हैं सर्वनाश देख पछताते हैं पहले आगाह करने वाले का ही मज़ाक हम उड़ाते हैं न जाने क्या क्या नाम उन्हें दे आते हैं शर्मिंदा हो आंख…

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

Kavita | मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी ( Meen Aur Meena Ki  Jindagi : Ek Jaisi ) *********** जल की रानी कह लोग- जल से खींच लेते हैं, हाय कितने निर्दयी ये होते हैं? कभी गरमागरम तेल में करते फ्राई, या फिर धूप में करते ड्राई! खाते पसंद से , तनिक न सोचते, एक…