Kare hai usse faasle hum nahi

करे है उससे फ़ासले हम नहीं | Ghazal

करे है उससे फ़ासले हम नहीं ( Kare hai usse faasle hum nahi )   करे है उससे फ़ासिले हम नहीं दग़ा प्यार में ही करे हम नहीं   चुनी है मुहब्बत की राहे हमने नफ़रत की राहों पर चले हम नहीं   बेअदबी करी घर बुलाकर अपनें उसके रु ब रु फ़िर हुये हम…

phool bheja nahin pyar ka

इसलिए फूल भेजा नहीं प्यार का | Ghazal

इसलिए फूल भेजा नहीं प्यार का ( Isaliye phool bheja nahin pyar ka )     इसलिए फ़ूल भेजा नहीं प्यार का! था फ़रेबी से भरा दिल बहुत यार का   इसलिए ख़त लिख पाया नहीं हूँ उसे बेवफ़ा दिल है उस यार दिलदार का   रिश्ता रखना है तो रख वरना तोड़ दें यूं…

Khafa shayari

नहीं दिल तू कभी अपना ख़फ़ा रखना | Khafa shayari

नहीं दिल तू कभी अपना ख़फ़ा रखना ( Nahi dil tu kabhi apna khafa rakhna )     नहीं दिल तू कभी अपना ख़फ़ा रखना मुहब्बत का हमेशा वास्ता रखना   हमेशा साथ रहना हम सफ़र बनकर नहीं मुझसे कभी खुद को जुदा रखना   मुसीबत दूर तुझसे ही रहेगी हर लबों पे रोज़ तू…

Ghazal ulfat mein

उल्फ़त में | Ghazal ulfat mein

उल्फ़त में ( Ulfat mein )   उल्फ़त में  ऐ यार किसी की ऐसा लूटे है क्या हाल सुनाये इतना अंदर से टूटे है   क्या है तेरा मेरा रिश्ता समझें क्या तुझको ख़्वाबों से तेरे रोज़ सनम हम महके है   जो चाहे हम हल हो पाता काम नहीं कोई दौड़े है बद क़िस्मत…

Ghazal samundar khumar ka

समुन्दर खुमार का | Ghazal samundar khumar ka

समुन्दर खुमार का ( Samundar khumar ka )   पलकों पे छुपा है जैसे कुछ,समुन्दर खुमार का। कितना अजब नशा है दिलवर के, इन्तजार का।   ख्वाबों में माँगते है हर पल, मन्नत दीदार का। उनपे भी कुछ असर हो जाए, मेरे प्यार का।   बढती ही जा रही है उसके, चाहत का ये सरूर।…

Ghazal dada ji

दादा जी | Dada ji par Shayari

दादा जी ( Dada JI )   यहां तो दादा जी रकीब है नहीं कोई अपना हबीब है   रवानी ख़ुशी की कैसे हो फ़िर ख़ुशी जिंदगी से सलीब है   घरों में  हुये लोग कैद सब चला कैसा मौसम अजीब है   कैसे लें आटा दाल यूं महंगा दादा जी बड़े हम ग़रीब है…

Dil se jaye nahi pyar main kya karoon

दिल से जाये नहीं प्यार मैं क्या करुं | Ghazal

दिल से जाये नहीं प्यार मैं क्या करुं ( Dil se jaye nahi pyar main kya karoon )     दिल से जाये नहीं प्यार मैं क्या करुं हिज्र  में  तेरे  अब यार मैं क्या करुं   भूलने की तुझे कोशिका की तमाम भूल पाऊं न दिलदार मैं क्या करुं   इंतिहां हो गयी  है…

Mujhko meri zameen pe rehne do

मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो | Ghazal

मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो ( Mujhko meri zameen pe rehne do )     ‘हाँ मैं हूँ’ इस यकीं पे रहने दो। मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो।   पोछ लो अपने आस्ताँ का लहू, दाग़ मेरी जबीं पे रहने दो।   तेरी यादों से ही उजाला है, चाँद को अब वहीं पे…

Sapne mein ek chehra aya

सपने में इक चेहरा आया | Ghazal

सपने में इक चेहरा आया ( Sapne mein ek chehra aya )     सपने में इक चेहरा आया कोई बिछड़ा अपना आया   बात करेगा क्या उल्फ़त की करने वो बस शिकवा आया   झूलेंगे बच्चें झूले में गांव हमारे मेला आया   खुशियों के दिन ढ़लतें जाये ग़म का मुझपे साया आया  …

बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ | Bazm Shayari

बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ | Bazm Shayari

बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ ( Bazm me aisa khoob hua )     बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ शे’र पे चर्चा ख़ूब हुआ कैसे उससे मिलना हो घर पर पहरा ख़ूब हुआ जिससे दिल का रिश्ता था ग़ैर वो चेहरा ख़ूब हुआ छोड़ दिया अपनों ने साथ दिल यह तन्हा ख़ूब हुआ छाया उस…