धरती

( Dharti )

 

हरी भरी प्यारी धरा, वीर प्रसूता अवनी।
हरियाली भरपूर, धरती पे लाइए।

महकती बहारों से, कुदरती नजारों से।
पुष्प धरा की सौरभ, समां महकाइए।

धरती अंबर तारे, पर्वत नदिया सारे।
ओढ़े धानी चुनरिया, धरा को संवारिए।

वसुंधरा वीर भूमि, गौरव से खूब झूमीं।
मातृभूमि है हमारी, गुणगान गाइए।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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