दिल हुआ दीवाना मेरा एक मुखड़ा देखकर
दिल हुआ दीवाना मेरा एक मुखड़ा देखकर
दिल हुआ दीवाना मेरा एक मुखड़ा देखकर!
राह में पहले न हुआ था दोस्त ऐसा देखकर
प्यार क़ा ऐसा नशा उसका चढ़ा मुझको मगर
मैं गवा बैठा किसी को होश अपना देखकर
दिल मचले है उसका ही अपना बनाने को मेरा
उस हंसी का कल आंखों का ही इशारा देखकर
बात कोई सुन न ले तेरी मुहब्बत की भला
आज उससे प्यार तू इजहार करना देखकर
वो समझता हो मुझे जैसे पराया हां मगर
वो निगाहें को न जाने कैसे करता देखकर
हर क़दम पे धोखे है आज़म बहुत ही मगर
तू मुहब्बत का चलना ए दोस्त रस्ता देखकर