सनम का हाल | Ghazal Sanam ka Haal
सनम का हाल
( Sanam ka Haal )
बह्र : बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
मात्रा भार : 1222 1222 1222
हसीं चेहरा गुलाबी गाल अच्छा है,
हाथों तूने लिया रुमाल अच्छा है !
मचलती इस जवानी पर खिला यौवन,
तेरी जुल्फों का बिखरा हाल अच्छा है !
मेरे जैसे दिवाने को फ़साने का,
बुना तूने ये माया-जाल अच्छा है !
फ़िज़ाओं में नशा मौसम बहारों का,
सुना तेरे लिए ये साल अच्छा है !
पूछे कोई जो कह देता हूँ उनसे मैं,
मुहब्बत में सनम का हाल अच्छा है !
सजाया खुद को है दुल्हन की जैसे ये,
जोड़ा उसने जो पहना लाल अच्छा है !
कहा जाए जो भी कम है बड़ाई में,
मुहब्बत में कहे तो ख्याल अच्छा है !!