गुरु | Guru par kavita in Hindi
गुरु
( Guru )
गुरु तुम दीपक मैं अंधकार ,
किए हैं मुझपे आप उपकार,
पड़ा है मुझपर ज्ञान प्रकाश,
बना है जीवन ये उपवास,
करें नित मुझ पर बस उपकार ,
सजे मेरा जीवन घर द्वार,
गुरु से मिले जो ज्ञान नूर,
हो जाऊं मैं जहां में मशहूर
गुरु से मिले हैं जो मार्गदर्शन,
हो गए हैं मुझे भगवान के दर्शन
गुरु तुम दीपक मैं अंधकार,
किए हैं मुझपे आप उपकार।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218