हमेशा रहे बेसहारों में शामिल
हमेशा रहे बेसहारों में शामिल
रहे तनहा होकर हज़ारों में शामिल
हमेशा रहे बेसहारों में शामिल
सदा ही रही है ख़ुशी दूर हमसे
रहे हम सदा ग़मगुसारों में शामिल
नहीं बन सके हम महाजन कभी भी
सदा ही रहे देनदारों में शामिल
ज़मीं पे मिलन हो न पाया हमारा
चलो होंगे अब हम सितारों में शामिल
मिली हमको मन की न कोई हसीना
हमेशा रहे हम कुँआरों में शामिल
छुपाते रहे दिल का हर राज़ हमसे
किया ही नहीं राज़दारों में शामिल
कभी लूटते थे ख़ज़ाना जो दिल का
वही आज हैं पहरेदारों में शामिल
मुहब्बत की कश्ती डुबो दी उसी ने
किया हमने जिसको किनारों में शामिल
नहीं फ़ुसतें हमको मिलने की तुमसे
रहे रात दिन बस क़तारों में शामिल
करेंगे इबादत मुहब्बत की मीना
भले ही रहें हम मज़ारों में शामिल
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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