बात बात में अलगाव की
( Baat baat mein algav ki )
#JNU
बात बात में अलगाव की भाषा बोल रहे हो तुम।
शिक्षा के मंदिर में नित,विष को घोल रहे हो तुम।।
कैसी आजादी की तुमने, मांग करी है पढ़ने में।
बुद्धि कौशल लगा घूमते, षड़यंत्रों को रचने में।।
आजादी की मांग के पहले, विश्व भ्रमण कर आओ तुम।
कहां कहां कितनी आजादी, पता जरा कर आओ तुम।।
तुम्हे देखकर आतंकी भी, मन ही मन हर्षाते हैं।
भारत तेरे टुकड़े होंगे, जब समूह चिल्लाते हैं।।
पाश्चात्य की हवा में अपने, कल को तौल रहे हो तुम।
आजादी की मांग का नारा, नाहक बोल रहे हो तुम।।
वीरों की कुर्बानी का, “चंचल” मत अपमान करो।
पुण्य धरा इस भारत मां का, दिल से तुम सम्मान करो।
कवि : भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई, छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )
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